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About Sri Vidya

श्री विद्या

आप के आध्यात्मिक व भौतिक जीवन को ऊर्जा की और ले जाने के लिए यह साइट शुरू की गई है | अपने जीवन में बहुत से साधना आयाम जीने के बाद हमने महसूस किया कि आखिर वह कौन सी ऊर्जा है जो हर प्राणी में रूपांतरण करने की शक्ति रखती है | बहुत बार जीवन में ऐसे क्षण आते हैं जो वास्तव में अद्भुत होते हैं | मनुष्य जब इन क्षणों का एहसास करता है तो उसे जीवन अमृत ऊर्जा का आभास होता है | आखिर कोई शक्ति है जो ब्रह्मांड की समस्त ऊर्जा को कंट्रोल कर नवजीवन निर्माण करती है | यह ऊर्जा ही श्री विधा के नाम से जानी जाती है | परम पिता विधाता ने अपने परम तत्व के दो रूप किए, एक सकारात्मक और दूसरा निराकार परम तत्व जैसे कि निराकार तत्व नारायणी तत्व है | उसका साकार रूप विष्णु भगवान | इन दोनों तत्वों को चलाने के लिए परम पिता सदाशिव ने दो शक्तियां बनाई, एक विद्या और दूसरी अविद्या | विद्या श्री विधा है जो परम नारायणी तत्व की मुख्य प्रकाशमई शक्ति है | दूसरी शक्ति महा योगमाया है जो भगवान विष्णु की मुख्य शक्ति कहलाती है | पाँच पुरुष प्रधान में यह काल पुरुष की मुख्य शक्ति है |

जैसे सत्य पुरुष ,विराट पुरुष और अघम पुरुष | इस तरह चार पुरुषार्थ कहे गए हैं | धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष जिनकी प्राप्ति के लिए हर मनुष्य अपने अपने मनोभाव से कर्मरत है | इन चारों पुरुषार्थों को पोषित जो करता है वह श्री तत्व है | जिसकी अधिष्ठात्री देवी श्री विधा है | श्री विधा इतनी सूक्ष्म तत्व है जो सिर्फ महसूस किया जा सकता है | जैसे हर प्राणी में विद्दूत शक्ति के रूप में कुंडलिनी शक्ति | सूर्य में प्रकाश रूप में ,चंदर में शीतलता और चाँदनी, जल में जीवनी शक्ति के रूप में, फूलों में खुशबू , प्रकृति में सौंदर्य, चाहे गुण कोई भी हो रजो गुण हो तमो गुण हो या सतो गुण हो यह शक्ति अपने शक्ति स्वरूप में हर गुण को चला रही है | यही शक्ति रजो गुण में जहां महालक्ष्मी है वहीँ तमो गुण में भगवान शिव के साथ महाकाली रूप में विद्यमान है | ब्रहमा जी के साथ सरस्वती रूप में विधा को प्रसारित करती है | यह सभी गुणों को अपनी संकल्प शक्ति जैसे महाकाली ,महासरस्वती, महालक्ष्मी रूप में सपूर्ण ब्रह्मांड को चला रही है |

Difference between Yogmaya and Sri Vidya

योगमाया एवं श्री विद्या में अंतर

इसी तरह अगर योग माया पे चर्चा करें तो प्राणी में कामना , ईच्छा, भ्रम , कल्पना के रूप जो व्याप्त हैं वह योग माया है | जो सहस्रार में अलख निरंजन की शक्ति है | जहां श्री विधा प्राणियों में श्री तत्व को प्रादुभाव करती है वही योग माया प्राणियों में कल्पना और भ्रम को पैदा करती है | कामना को जगाकर मनुष्य को गुलाम बना लेती है | मनुष्य कामना के अधीन होकर सभी उचित अनुचित कार्य करता है |

यहाँ हमने दोनों महाशक्तियों के कार्य को जाना | मनुष्य अपने जीवन में अपना लक्ष्य पाने के लिए निरंतर कार्यरत है | लेकिन अपना लक्ष्य पाने में कभी देर, कभी कभी तो लक्ष्य से दूर ही रहता है | आखिर क्या स्थिति है कि हम उच्चकोटी की साधना के बाद भी उसमें सफल क्यों नहीं होते |

Sri Chakra

श्री चक्र

हर मनुष्य में 108 आध्यात्मिक बिन्दु होते हैं जिन्हें श्री चक्र कहा जाता है | मनुष्य में श्री तत्व की कमी होने से यह बिन्दु ज्यादातर बंद रहते हैं | यह बिन्दु श्रीतत्व पूर्ण होने पर अपना कार्य करते हैं या यूं कहूं कि जागृत होने से ब्रह्मांड की ऊर्जा को ग्रहण करते हैं जिसे सामान्य भाषा में शक्तिपात कहते हैं | क्योंकि ब्रह्मांड की अदित्या शक्ति श्रीविधा हर पल श्री तत्व को प्रेषित करती है | जो शक्ति और ऊर्जा के रूप में तरंगों के रूप में इस ब्रह्मांड में प्रवाहित रहता है | जब यह बिन्दु जाग्रत होते हैं तो मनुष्य को श्री शक्ति से परिपूर्ण करते हैं | जिसे आकर्षण शक्ति कहा जाता है | जब साधक साधना करता है तो वह सोचता है कि देवता प्रकट होगा और उसे जो चाहिए, देगा | यही कल्पना उसके मन में बसी होती है | या यह कहूं कि कल्पना शक्ति से योग माया उसके मन को अपने अधीन कर लेती है | जिससे उसका मन वोही देखता है जो उसे दिखाया जाता है | वह भ्रम और कल्पना में इस तरह फंस जाता है कि उसे लगता है कि उसकी साधना सफल हो गई | वह जो देखता है वह उसके लिए सच हो सकता है दूसरे के लिए नहीं | क्योंकि उसे जो दिखाई देता है वह उस देव या देवी से अपनी कामना रखता है तो वह कहते हैं कि काम हो जाएगा लेकिन नहीं होता तो भी वह इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं होता कि यह अपने ही माया जाल में उलझा हुया है | ऐसा बहुत साधकों के साथ होता है | जो मैंने निकटता से महसूस किया है | 100 में से 60 लोग इसी तरह का जीवन जी रहे हैं |

आप जरा सोचें कि आखिर देवता क्यों नहीं प्रकट होता जबकि आप अच्छे मन से साधना करते हैं | विधि अनुसार करते हैं | बस छोटी सी अनुभूति होती है कि बस आ रहा है | यह दिव्य स्वपन से दिखते हैं | कभी कभी खुशबू आ जाती है | लेकिन अंत ज़ीरो ही रहता है | ऐसा 100 में से 30 लोगों के साथ होता है | आप सोचते हैं कि देव आ रहा है लेकिन मन वास्तविकता देखना चाहता है | जिज्ञाशा है उसमें यह लोग उन लोगों से कुछ बेहतर हैं जो कल्पना में जी रहे हैं | मगर जहां अनुभूति के बाद भी यही स्थिति बार बार साधना करने पर बनी रहती है तो वह गुरु से याचना करता है | गुरु शक्तिपात दीक्षा दे देते हैं | लेकिन दीक्षा भी असर नहीं करती | गुरु ने सही दिया लेकिन क्या आपने सोचा कि क्यों   दीक्षा फलीभूत नहीं हुई | जैसे पत्थर पर प्रकाश किरण पड़ कर उसमें कुछ रूपांतरण किए बिना वापिस लौट जाती है | ठीक इसी तरह दीक्षा के साथ होता है | दीक्षा भी बिना कुछ किए वापिस लौट जाती है | चाहे आप लाखों दीक्षा ले लीजिये, लाखों रुपए खर्च कर दीजिये | ऐसा क्यों होता है, क्योंकि श्री शक्ति को ग्रहण करने वाले आध्यात्मिक बिन्दु बंद होते हैं |

श्री चक्र क्या करते हैं?  श्री चक्र आकर्षण शक्ति को पैदा करते हैं | जो देवता का आकर्षण करती है, जो देव और यक्षिणी अप्सरा आदि को बांध देती है, सम्मोहित कर देती है, उन्हे बेबस कर देती है आपकी ईच्छा  पूर्ण करने के लिए  | जब शरीर में श्री तत्व में कमी है तो कैसे चक्र एक्टिवेट होंगे, कैसे देवता या शक्ति का आकर्षण करेंगे | क्योंकि शक्ति तो सोई पड़ी है | कैसे शक्तिपात को ग्रहण कर सोखित कर कंट्रोल करेंगे ताकि आपके हित में कार्य हो सके और मैं यह बात दावे से कहता हूँ , जब तक आप में आकर्षण शक्ति नहीं होगी तो देवता यक्षिणी अप्सरा तो क्या आप साधारण मुनष्य को भी आकर्षण नहीं कर पायेंगे | यह श्री तत्व ही आकर्षण शक्ति के रूप में शरीर में व्याप्त है | जब तक आपके श्री चक्र अपना कार्य नहीं करेंगे, सम्मोहन शक्ति प्रकट नहीं होगी, ब्रह्मांड और गुरु तत्व से होने वाले शक्तिपात को ग्रहण नहीं करेंगे और श्री विधा के रूप में आप में मौजूद कुंडलिनी जाग्रत नहीं होगी, आपके अंदर सोई पड़ी शक्ति जाग्रत नहीं होगी |

इसके लिए जो एक झटके के साथ आपके जीवन को बदल दे वह श्री विधा अपनानी होगी | तभी इस स्थिति का इलाज होगा | तभी सफलता मिलेगी, तभी  साधना पूर्ण होगी | तभी देवता प्रकट होंगे तभी अप्सरा या यक्षिणी अपना साहचर्य देगी | इसके लिए आपको गुरु से नाम लेना होगा, श्री विधा रहस्य जानना होगा और श्री विधा के अंतर गत पड़ने वाली दीक्षाएं लेनी होंगी , ईमानदारी से अभ्यास करना होगा | ब्रह्मांड के श्री यंत्र से जुड़ना होगा |

 

About ShreeDham108

श्रीधाम108

मैंने अपनी आध्यात्मिक यात्रा के दौरान एक ऐसे स्थल को पाया जो अपने आप में अद्वितीय है | जहां के वैभव के आगे देवताओं का वैभव भी नगण्य है | जहां सभी देवताओं को श्री तत्व से परिपूर्णता मिलती है | इंद्र, कुबेर भी जहां श्री का आशीर्वाद पाते हैं | शिव, ब्रह्मा, विष्णु भी जिस की स्तुति करते हैं | महाशक्ति ललिता त्रिपुर सुंदरी माँ बाला जहां की अधिष्ठात्री देवी है | जहां लक्ष्मी अपनी षोडश कलाओं के साथ क्रिया रूप में है | जहां ब्रह्मांड की अनगिनत श्री शक्तियां कार्यरत हैं | जहां ब्रह्मांड का श्री यंत्र मौजूद है | उस परम कल्याण रूप उस दिव्य धाम के बारे में शब्दों में लिखना सूर्य को दीपक दिखाने के तुल्य है | उस श्रीधाम के गुणों की कोई भी व्याख्या नहीं कर सकता | वह श्रीधाम इसी ब्रह्मांड में व्याप्त है | जहां से समस्त ब्रह्मांड को श्री तत्व प्रदान किया जाता है | उस दिव्य धाम की यात्रा मैं माँ बाला सुंदरी की कृपा से ही कर पाया, जिसका जिक्र मैंने समर्पण 43 में किया है | मैंने दो ही सर्व चैतन्य स्थल पाये, एक सिद्धाश्रम और दूसरा श्रीधाम | बिना श्री पाए आप देव साधना नहीं कर पायेंगे और सिद्धाश्रम भी श्री से परिपूर्ण होकर ही जाया जा सकता है, वरना नहीं | इसीलिए गुरु जी ने साधना का मार्ग आप लोगों को दिया | मैं तो यह कहता हूँ कि बिना श्री तत्व के साधना भी सफल नहीं होती | आप इसे आजमा कर देख सकते हैं | उसी ब्रह्मांड के श्री धाम से जोड़ने के लिए हम इस धरा पर श्रीधाम108 बनाने के लिए कृत संकल्प हैं | श्रीधाम माँ की कृपा से नाम मिला है और 108 का अर्थ है परिपूर्ण अर्थात जो सभी दृष्टि से परिपूर्ण हो ऐसे श्रीधाम108 की स्थापना के लिए संकल्प बद्ध होकर आप लोगों के लिए उस श्रीधाम से संबंधित साधना व श्रीविधा का ज्ञान देने के लिए इस श्रीधाम की स्थापना कर रहे हैं | जिसमें जल्दी ही आप लोगो को देव दुर्लभ विद्याओं की प्रक्टिकल जानकारी व साधना कराई जाएगी | इसके लिए आपसे कोई भी स्वार्थ पूर्ति नहीं की जाएगी | आपको साधना के लिए जो भी दिशा निर्देश चाहिए, जो भी सामग्री चाहिए, वह पूर्ण शुद्ध व चैतन्य रूप में आप तक पहुंचाई जाएगी | यहाँ  तक कि अगर आप घर में साधना नहीं कर सकते, आपको योग्य निर्देशन में साधना संपन्न करने का प्रबंध भी श्रीधाम अपने सिर लेता है | कर्मकांड ,ज्योतिष विज्ञान , सम्मोहन विज्ञान , आयुर्वेद ,जड़ी बूटी ज्ञान, औषधि निर्माण , रस तंत्र , तंत्र मंत्र यंत्र विज्ञान की शिक्षा, योग शाश्त्र को समझने व सीखने का मौका देता है | अगर आप कोई भी विधा, महाविधा या कोई भी क्रिया जैसे कि रसायन क्रिया, पारद के संस्कार आदि इसके लिए उचित व्यवस्था करने व प्रक्टिकल रूप में ग्रहण करने में बिना किसी स्वार्थ आपकी मदद करेगा | इसके अलावा दुर्लभ से दुर्लभ सामग्री जो साधकों को चाहिए, उसे भी देने के लिए कृत संकल्प है | आप सभी का इस साइट पर और श्रीधाम108  में हम दिल से स्वागत करते हैं |

Shree Putra Scheme

श्री पुत्र योजना

इसलिए श्रीधाम108 की ओर से श्रीपुत्र योजना चलाई जा रही है | जिसके तहत आपको श्रीधाम108 की ओर से id कार्ड दिया जाएगा | जिससे आपको बार बार साधना में आवेदन देने के लिए बायोडेटा देने की जरूरत नहीं है | इसके साथ ही आपको समय समय पर दुर्लभ साधना विधान कराये जाएंगे |साथ में आप सभी को समय समय पर श्रीधाम की ओर से किए जा रहे साधना कैंप की जानकारी और जो भी श्रीधाम की ओर से उत्सव किए जायेंगे, उन उत्सवों में भाग लेने की व्यवस्था करेगा | अलग अलग शहरों में जो प्रोग्राम किए जायेंगे उनमें उचित खर्चे पर आपके ठहरने व खाने की व्यवस्था का जिम्मा भी श्रीधाम लेता है | इस योजना के अंतर्गत आपको गिफ्ट के रूप में एक कीमती उपहार के रूप में एक दिव्य यंत्र दिया जाएगा जो अपने आप में दिव्य है | जिसके स्थापन से घर में ऊर्जा का आभास होने लगता है, पॉज़िटिव ऊर्जा अपने आप बनने लगती है और आपको हर पल तरो ताजा रखेगा |

नियम

          
  1. श्रीधाम साधक श्रीपुत्र के रूप में जाना जायेगा |
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  3. वह किसी धर्म जाति आदि से हो सकता है | लेकिन यह नियम सभी के लिए मान्य होगा कि सिर्फ साधक का जीवन अपनाते हुये किसी भी मजहब ,धर्म आदि से उपर उठ कर कार्य करेगा |
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  5. उसे किसी भी धर्म के खिलाफ कुछ भी लिखने की इजाजत श्रीधाम नहीं देता |
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  7. हम सिर्फ साधना एवं ज्ञान के पक्षधर हैं |
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  9. हमने किसी भी जाती धर्म के विरोध में कभी कुछ नहीं लिखा और न लिखेंगे | लोग इन बातों में उलझ कर अपने जीवन का बहुमूल्य समय नष्ट कर लेते हैं | इसलिए हम ऐसी किसी बात का समर्थन नहीं करते |
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  11. हमारा मानना है कि अगर जीवन में समस्याओं से उभरना है , अपने लक्ष्य की और बढ़ना है तो इन बातों से ऊपर उठ कर सोचना होगा | हम सिर्फ इंसानियत की सपोर्ट करते हैं |
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  13. हमारा लक्ष्य सिर्फ इतना है कि इस धरा पर लुप्त हो रही विधाएं पुनः स्थापित हों और लोग अपना लक्ष्य पाते हुए उस परम इश्वर्य सत्ता को समझ सकें |
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  15. श्रीधाम किसी दीक्षा या शक्तिपात दीक्षा नहीं देता | हाँ जो परमार्थ का रास्ता चाहते हैं , ईश्वर्य शक्ति से रूबरू होना चाहते हैं ,उन्हे परमार्थ का रास्ता नाम जरूर देगा | यह संत आज्ञा से ऐसा करेगा |
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  17. अगर किसी दीक्षा की व्यवस्था करनी पडे तो योग्य विद्वानो के निर्देशन में पूर्ण शास्त्रीय विधि से ऐसा इंतजाम जरूर करेगा | जिसकी एक मर्यादा होगी | वह किसी भी गुरु के निर्देशन में करायी जा सकती है | यह सिर्फ इसलिए किया जायेगा जैसे कि आज कल दीक्षा व्यापार बनता जा रहा है | साधक इसका शिकार होकर धर्म गुरुओं की इज्जत करना भूल रहे हैं | इसलिए यह तभी किया जायेगा जब बहुत जरूरी हो |
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  19. श्रीधाम सदा संत मार्ग का अनुसरण करेगा | इसलिए परम पिता परमात्मा का नाम जिसे संत मार्ग में बिना किसी स्वार्थ दिया जाता है | जिसके लिए कोई फीस नहीं ली जाती, व्यर्थ के दिखावे से रहित एक परम ईश्वर्य सत्ता का समर्थन करेगा |
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  21. श्रीधाम अमूल्य ग्रंथो को आपको उपलब्ध कराने की व्यवस्था के पक्ष में है |
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  23. हमारी कोई भी ब्रांच या व्यक्ति विशेष को दीक्षा आदि का अधिकार नहीं दिया जाता और न ही हम इसके पक्ष में है |
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  25. हम सबके लिए मंगल कामना करते हैं | सारे विश्व शांति के लिए दुआ करते हैं |
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  27. अगर कोई भाई या बहन समस्या ग्रस्त है, उनके लिए उचित समाधान व अनुष्ठान की व्यवस्था श्रीधाम करेगा |
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  29. इसके अलावा श्रीपुत्र एक संगठन के रूप में कार्य करेंगे | अगर किसी भाई बहन को कुछ हेल्प की जरूरत हुई तो सभी के सहयोग से वह पूरी की जाएगी |
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  31. श्रीधाम से भेजी गई सामग्री निर्धारित मूल्य पर भेजी जाएगी जो आपको गिफ्ट रूप में प्राप्त होगी वह सामग्री आप कहीं से भी ले सकते हैं | हम सिर्फ उसे प्राण प्रतिष्ठा करने की व्यवस्था करेंगे | अगर आप स्वयं ऐसी क्रिया सीखना चाहें तो उसके लिए भी इंतजाम किया जायेगा |
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  33. श्रीधाम गुरु तत्व का आदर करता है | हमारे लिए सभी गुरुजन पूज्य हैं | जो समाज को नई राह दे रहे हैं | इसलिए श्रीपुत्र किसी भी गुरु, धर्म गुरु की निंदा न करेगा न करने की इजाजत देगा | हमारी सोच है कि गुरु तत्व जो सर्व व्यापक है वही गुरु तत्व हर गुरु को दिशानिर्देश देता है | वही ज्ञान देता है | इसलिए हम सिर्फ गुरु तत्व को मानते हैं | हमारी नजर में नकली असली का कोई भाव नहीं है |
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  35. जो साधक माता पिता व गुरु जनों  की इज्जत करता है ,हम ऐसे साधकों का सदा समर्थन करते हैं |
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  37. हम हमेशा वाद विवाद से दूर रहते हैं , फिर भी अगर दुर्भाग्यवश ऐसा होता है तो कानून के नियम से ही इसका निर्णय किया जायेगा | इसके लिए दिल्ली कोर्ट मान्य होगी |
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  39. अगर आप मेरी इन बातों से इत्फ़ाक रखते हैं तो आप का खुले दिल से स्वागत है |
  40. यह नियम सभी के लिए समान रूप में मान्य हैं |

    आपका सदा अपना

    श्रीधाम108

    [our-team]