समर्पण –10–  औघड़ साधना का एक रूप

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कई दिनों से औघड़ शमशान पर दृष्टि रखे हुए था | आज बहुत दिनों के बाद उसे अपनी मनोवांछित सिद्धि करने का मौका मिला था इसलिए वो चूकना नहीं चाहता था | कुछ लोग एक मरे हुए बच्चे को लाकर उस शमशान में दबा गये थे | चारों तरफ घनघोर जंगल था और अब अकेला […]

समर्पण -9- बाबा रामनाथ जी के शमशान कौतुक

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आज भंडारा चले हुए कई दिन हो गये थे अचानक बाबा जी के मन में क्या आया, उन्होंने कहा 2 कड़ाहे चावल बनाओ | अरे हुस्ने, इन चावलों को कहीं लेकर जायेंगे, वो भी हमारे काम आते हैं, उन्हें भी खिलाना चाहिए कुछ |  उस वक़्त तो हम समझे नहीं लेकिन रात्रि 10 बजे के […]