हर गौरी साधना – सम्पूर्ण सौभाग्य एवं एश्वर्य प्राप्ति || Har Gauri Sadhna

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महाशिवरात्री साधकों के लिए वरदान स्वरूप है | इस दिन असंभव कही जाने वाली साधनाएं भी साधकों के लिए सिद्धि के द्वार खोल देती हैं | बस जरूरत है उन्हे आत्मसात करने की | भगवान शिव जी तो औघड़ दानी हैं फिर माँ शक्ति का वरदान भी साथ हो तो सोने पे सुहागा माना जाता है | हर गौरी साधना भी इन्हीं साधनाओं में एक है जो साधकों को सम्पूर्ण सुख सौभाग्य की प्राप्ति सहज ही करा देती है फिर चाहे किसी मंगल कार्य में बाधा हो या शादी न हो रही हो और बेरोजगार हो या कोई विशेष कार्य ना बन रहा हो, कार्य में बार-बार बाधा आ रही हो तो माँ गौरी के आशीर्वाद से समस्त बाधाएं हट जाती हैं और फिर ऊपर से महा शिवरात्रि का संयोग मिल जाये, भगवान शंकर और माँ पार्वती के मिलन की रात तो इस अद्भुत योग का पूर्ण लाभ लेना ही चाहिए |

विधि

  • यह साधना धैर्य के साथ करें | इसके लिए वस्त्र पीले अथवा सफ़ेद ज्यादा उचित रहते हैं | आप लाल रंग के वस्त्र भी धारण कर सकते हैं |
  • आसन लाल या पीला लें |
  • दिशा – उतर दिशा सब से उचित है | साधक पूर्व दिशा में मुख भी कर सकते हैं |
  •  साधना काल में अखंड घी की ज्योत लगा सकते हैं |
  • भोग खीर और मेवो का लगाएं | फल और पुष्प, धूप, दीप से पूजन करें | माँ गौरी को सिंगार और चुनरी भेंट करें | भगवान शंकर जी को सफ़ेद वस्त्र और गणेश जी को पीला वस्त्र सवा दो-दो मीटर का भेंट करें | एक लकड़ी के बाजोट पर पीला वस्त्र बिछाकर भगवान शिव और माँ पार्वती का सुंदर चित्र स्थापित करें | साथ में गणेश जी अथवा सद्गुरुदेव जी का चित्र स्थापित करें | उसका पूजन एवं गणेश जी का पूजन पंचौपचार विधि से करें ।
  • साधना काल में अखंड घी की ज्योत लगायें जो पूरी रात्री जलती रहे | सद्गुरुदेव जी का पूजन कर साधना हेतु मानसिक आज्ञा लें फिर गणेश पूजन कर भगवान शंकर और माँ गौरी का पूजन कर अपनी मनोकामना 5 बार बोलें फिर निम्न मंत्र की 51 माला जप करें | साधना के दौरान बहुत दिव्य अनुभव होते हैं इसलिए अपने गुरु जी के सिवा किसी से इनकी चर्चा ना करें | यह मंत्र मुझे अपने एक वरिष्ठ गुरु भाई से प्राप्त हुआ था | इसके और भी बहुत से लाभ हैं |

करन्यास

ह्रां अङ्गुष्ठाभ्यां नमः

ह्रीं तर्जनीभ्यां नमः

ह्रूं मध्यमाभ्यां नमः

ह्रैं  अनामिकाभ्यां नमः

ह्रौं  कनिष्टकाभ्यां नमः

ह्रः करतल करपृष्ठाभ्यां नमः

 

अङ्गन्यास

ह्रां हृदयाय नमः

ह्रीं शिरसे स्वाहा

ह्रूं शिखायै वषट्

ह्रैं कवचाय हूम

ह्रौं नेत्रत्रयाय वौषट्

ह्रः अस्त्राय फट्

 

मंत्र

|| ह्रीं ॐ हर गौरी ह्रीं ॐ फट ||