शेषनाग साधना (अखंड धन प्राप्ति के लिए) || shesh naag sadhna ||

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यह साधना अखंड धन प्राप्ति के लिए है | यहाँ तक देखा गया है इस साधना से आसन की स्थिरता भी मिलती है | धन मार्ग में आ रही बाधा अपने आप हट जाती है | नाग देवता के इस रूप को आप सभी जानते हैं | भगवान विष्णु के सुरक्षा आसन के रूप में जाने जाते हैं | यह भगवान विष्णु का अभेद सुरक्षा कवच है | जब कोई साधक सच्चे मन से भगवान शेषनाग की उपासना या साधना करता है तो उसके जीवन के सारे दुर्भाग्य का नाश कर देते हैं | उसके जीवन में अखंड धन की बरसात कर देते हैं | अगर जीवन के उन्नति के सभी मार्ग बंद हो गए हैं, अगर जीवन में अचल संपति की कामना है | आय के स्त्रोत नहीं बन रहे तो आप भगवान शेष नाग की साधना से वह आसानी से प्राप्त कर सकते हैं | जो भी साधक भगवान शेषनाग की साधना करता है उसे अभेद सुरक्षा कवच प्रदान करते हैं | कर्ज से मुक्ति देते हैं, व्यापार में वृद्धि होती है | जीवन में सभी कष्टों का नाश करते हैं |

ज्योतिष विवेचना

१२ स्थान से ष्ट्म स्थान पश्चात पड़ने वाले ग्रह योग के कारण शेषनाग नामक नाग दोष ( काल सर्प योग ) की सृष्टि होती है |इसके कारण जन्म स्थान व देश से दूरी, सदैव संघर्षशील जीवन, नेत्र पीड़ा, निद्रा न आना तथा अंतिम जीवन रहस्य पूर्ण बना रहता है |ऐसे जातक के गुप्त शत्रु बहुत होते हैं |निराशा अधिक रहती है | मन चाहा काम पूरा नहीं होता | यदि कार्य होता है तो बहुत देरी से होता है |मानसिक उदिग्नता के कारण दिल और दिमाग हमेशा परेशान रहता है | धन की भारी चिंता एवं कर्जा उतारने के प्रयासों में सफलता नहीं मिलती |

यह साधना करने से यह सारे दोष हट जाते हैं और व्यक्ति भय मुक्त, चिंता मुक्त जीवन व्यतीत करता है |

साधना विधि

१.    इसमें साधना सामाग्री जो लेनी है लाल चन्दन की लकड़ी के टुकड़े, नीला और सफ़ेद धागा जो तकरीबन 8 – 8 उंगल का हो | कलश के लिए नारियल, सफ़ेद व लाल वस्त्र, पूजन में फल, पुष्प, धूप, दीप, पाँच मेवा आदि 

२.   सबसे पहले पुजा स्थान में एक बाजोट पर सफ़ेद रंग का वस्त्र बिछा दें  और उस पर एक पात्र में चन्दन के टुकड़े बिछा  कर उस पर एक सात मुख वाला नाग का रूप आटा गूँथ कर बना लें और उसे स्थापित करें | साथ ही भगवान शिव अथवा विष्णु जी का चित्र भी स्थापित करें | उसके साथ ही एक छोटा सा शिवलिंग एक अन्य पात्र में स्थापित कर दें |

३.  पहले गुरु पूजन कर साधना के लिए आज्ञा लें और फिर गणेश जी का पंचौपचार पूजन करें | उसके बाद भगवान विष्णु जी का और शंकर जी का पूजन करें |

४.   पूजन में धूप, दीप, फल, पुष्प,  नैवेद्य आदि रखें | प्रसाद पाँच मेवो का भोग लगाएं |

५.   यह साधना रविवार शाम 7 से 10 बजे के बीच करें |

६.   माला रुद्राक्ष की उत्तम है, और 9 ,11  या 21 माला मंत्र जाप करना है |

७.   दीप साधना काल में जलता रहना चाहिए |

८.  भगवान शेष नाग का पूजन करें | आपको पूर्व दिशा की ओर शेषनाग की स्थापना करनी है और उसके ईशान कोण में मनसा देवी की | अपना मुख भी पूर्व की ओर रखना है |

साधकों की सुविधा के लिए नाग पूजन दिया जा चुका है | अब भगवान शेषनाग का आवाहन करें | हाथ में अक्षत पुष्प लेकर निम्न मंत्र पढ़ते हुए शेषनाग पर चढ़ाएं |

आवाहन मन्त्र

ॐ विप्रवर्गं श्र्वेत वर्णं सहस्र फ़ण संयुतम् |

आवाहयाम्यहं देवं शेषं वै विश्व रूपिणं ||

ॐ शेषाये नमः शेषं अवह्यामि | ईशान्यां अमृत रक्षणी साहितायै मनसा दैव्ये नमः | प्रतिष्ठः || प्रतिष्ठः ||

अब हाथ में अक्षत लें और प्राण प्रतिष्ठता करें |

प्राण प्रतिष्ठा मन्त्र

 ॐ मनोजुतिर्जुषता माज्यस्य बृस्पतिर्यज्ञ मिमन्तनो त्वरिष्टं यज्ञ ठरंसमिनदधातु |

विश्वेदेवसेऽइहं मदन्ता मों 3 प्रतिष्ठ ||

अस्मै प्राणाः प्रतिष्ठन्तु अस्मै प्राणाः क्षरन्तु च,

अस्ये देवत्वमर्चाये मामहेति च कश्चन ||

मनसा देवी पूजन

 अब ईशान कोण में एक अष्ट दल कमल अक्षत से बनाएं और उस पर एक ताँबे या मिटटी के कलश पर कुंकुम से दो नाग बनाकर अमृत रक्षणी माँ मनसा की स्थापना करें | कलश पर पाँच प्लव रख कर नारियल पर लाल वस्त्र लपेट कर रख दें | हाथ में अक्षत, कुंकुम, पुष्प लेकर मनसा देवी की स्थापना के लिए निम्न मंत्र पढ़ते हुए अक्षत कलश पर छोड़ दें |

ॐ अमृत रक्षणी साहितायै मनसा दैव्ये नमः | प्रतिष्ठः || प्रतिष्ठः ||

अब मनसा देवी का पूजन पंचौपचार से करें |

एक जल आचमनी चढ़ाएं 

ॐ अमृत रक्षणी साहितायै मनसा दैव्ये नमः ईशनानं स्मर्पयामी ||

चन्दन से गन्ध अर्पित करे

ॐ अमृत रक्षणी  साहितायै मनसा दैव्ये नमः गन्धं समर्पयामि ||

पुष्प अर्पित करें 

ॐ अमृत रक्षणी साहितायै मनसा दैव्ये नमः पुष्पं समर्पयामि ||

धूप

ॐ अमृत रक्षणी  साहितायै मनसा दैव्ये नमः धूपं अर्घ्यामि ||

दीप

ॐ अमृत रक्षणी साहितायै मनसा दैव्ये नमः दीपं दर्शयामि ||

नवैद्य—मेवो या दूध् से बना नैवेद्य अर्पित करें |

ॐ अमृत रक्षणी  साहितायै मनसा दैव्ये नमः नवैद्यं समर्पयामि ||

अब पुनः आचमनी जल अर्पित करें |

ॐ अमृत रक्षणी साहितये मनसा दैव्ये नमः आचमनीयं जलं समर्पयामि ||

 

अब नाग पूजा बताई हुई विधि से करें | अगर किसी कारण पूर्ण पुजा न कर पायें तो पंचौपचार पूजन कर लें | वैसे साधना का पूर्ण लाभ लेने के लिए पूजन विधि अनुसार ही करें |

अब नीला और सफ़ेद धागा शेष नाग को अर्पित करें यह धागा पूंछ की तरफ ही अर्पित करना है या चढ़ा देना है | रुद्राक्ष की माला से निम्न मंत्र का जप करें |

साधना मंत्र

||  ॐ शं शं श्री शेष नागराजाये नमः  ||

||  Om Sham Sham Shree Shesh Naagraajaaye Namah  ||

जप समाप्ती पर माला को गले में पहन लें और यह माला पहन कर ही सोयें | जब साधना पूर्ण हो जाए तो शिवलिंग का पंचौपचार पूजन करें और पंचामृत से अभिषेक करें, अभिषेक करते हुये आप “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करते रहें या शिव कवच से भी अभिषेक किया जा सकता है नहीं तो लघु रुद्राअभिषेक स्तोत्र पढ़ते हुए भी किया जा सकता है | इसके बाद अगर आप चाहो तो सर्प सूक्त का पाठ कर लें | सोते हुये माला गले में रहे | दूसरे दिन आप उस नाग की आकृति को किसी नदी पर जाकर जल प्रवाह कर दें समस्त पूजन सामग्री के साथ जो पूजन किया है वह फूल आदि भी सब प्रवाहित कर दें | कलश का जल घर में छिड़क दें या किसी पौधे को डाल दें | इस प्रकार यह साधना पूर्ण हो जाती है और अखंड धन आने के मार्ग खोल देती है | कर्ज से छुटकारा मिलता है | आर्थिक उन्नति के रास्ते खुलने लग जाते हैं | यह साधना एक अनुभूत साधना है | सद्गुरु जी के श्री चरणों में आपकी सफलता की कामना करते हुये यह अमूल्य साधना दे रहा हूँ |नगेंदर |