परम कल्याण कारी शिव दर्शन साधना – Shiv Darshan Sadhna

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यह साधना मुझे शिव कृपा से ही प्राप्त हुई थी | गुरु जी द्वारा प्रदान किए पारद शिवलिंग का स्थापन शिवरात्रि से पहले कर दिया था | जो सद्गुरु जी ने अति कृपा कर 21  किलो का पारद शिवलिंग प्रदान किया था और साथ में उन्होंने वरदान दिया था कि यह शिवलिंग अपने आप में अद्वितीय होगा और अपने आपमें तेरहवा ज्योतिर्लिंग कहलायेगा | जिसका स्थापन ककड़हट्टी ग्राम हिमाचल जिला सोलन में किया गया था | शिवरात्रि नजदीक थी मैंने यहाँ रुक कर शिव साधना शुरू की और हर रोज शिव अमोघ कवच का 21  बार पाठ करके अभिषेक किया करता था | सुबह का वक़्त था, एक दिन मैं उस दिव्य शिवलिंग पर त्राटक करते हुये शिव पाठ कर रहा था तभी एक दिव्य ज्योत सी शिवलिंग से प्रकट हुई और उसका दिव्य प्रकाश सारे कक्ष में फैलने लगा | देखते ही वो ज्योत काफी बड़े आकार की हो गई और शिव के परम कल्याणकारी स्वरूप में परिवर्तित हो गई, जिसके पाँच मुख थे और बहुत से बाजू थे | उस दिव्य स्वरूप को देखकर मेरा सारा शरीर बर्फ के समान हो गया | ऐसा लगा कि अब समाधि नहीं टूटेगी | आंखे खुली थी | उस कुछ क्षण की स्थिति ने मुझे जो आत्मिक बल प्रदान किया उसकी तुलना किसी से नहीं कर सकता और एक अजीब सा संगीत कानो में गूँज रहा था और इस दिव्य मंत्र की आवाज कानो में पड रही थी | कुछ क्षण के बाद वो स्वरूप फिर ज्योत में परिवर्तित  होकर धीरे धीरे उस शिवलिंग में समा गया और तब से यह मंत्र मेरे लिए गुरु मंत्र के समान सर्व श्रेष्ठ  हो गया | इसकी साधना की और उस परम तत्व से एकीकरण हुआ | शिवरात्रि पर जब लोग शिव पूजन कर रहे थे मैं अंदर बैठ कर यह मंत्र जाप कर रहा था | मंदिर के साथ ही एक कमरा था | मेरा ध्यान सा लग गया | मुझे लगा जब लोग शिव पर दूध से अभिषेक कर रहे थे तो मुझे एहसास  हुआ कि दूध शिवलिंग पर चढ़ रहा है पर मुझे अपने शरीर पर फील हो रहा था कि दूध मुझ पर ही अभिषेक हो रहा है | जो भी पूजन सामग्री शिवलिंग पर चढ़ रही थी , फील मुझे हो रही थी | यह स्थिति बहुत देर रही और मैं बाहर आकर आकाश की और देखने लगा और देखा कि एक सफ़ेद वस्त्रो में वृद्ध स्वरूप जिसके पूरे शरीर में प्रकाश किरणे निकल रही थी, आंखो के सामने थे | उन्होंनेे मुझे दूर से ही आशीर्वाद दिया और अदृश्य हो गए | इस तरह शिव तत्व से साक्षात्कार हुआ | वो कौन थे? कोई सिद्ध पुरुष थे या स्वयं शिव, मैं नहीं कह सकता पर जो आनंद मिला उसे शब्दों में कहना मुश्किल है | मेरा जीवन शिव कृपा पाकर धन्य हो गया | यह साधना जहां आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करते हुए साधक में उच्च भावभूमि प्रदान करती है वहीँ उसके जीवन की अनेक कमियाँ दूर हो जाती हैं | इस साधना से समाधि जैसा आनंद सहज ही प्राप्त हो जाता है | शरीर हर वक़्त एक विशेष ऊर्जा में आबद्ध रहता है और जीवन में आनंद का सराबोर होता है | हर वक़्त आनंद में ही रहता है | मन के विकारों पर विजय मिलती है और साधना में सफलता |

विधि

यह साधना आप किसी भी सोमवार शुरू कर सकते हैं | आप किसी भी मंदिर अथवा घर में कर सकते हैं | इस के लिए आपको भगवान शिव का एक चित्र चाहिए और रुद्राक्ष की माला और मंदिर में करें तो शिव जी का पूजन कर शिवलिंग के पास बैठकर कर सकते हैं | इसे सुबह या शाम कभी भी किया जा सकता है | चित्र का पूजन धूप, दीप, नवेद, पुष्प, फल आदि से करें और घी का दीपक लगाएं | गुरु पूजन करें, फिर गणेश जी का पूजन करें और फिर शिव पूजन करें | इससे पहले चारों दिशाओं में “ॐ श्रीं ॐ” बोल कर जल छिड़क दें | इससे दिशा शोधन हो जाता है | फिर 5 बार प्राणायाम करें मतलब सांस लें और छोड़ दें ताकि आंतरिक शोधन हो जाए | फिर रुद्राक्ष माला से निम्न मंत्र की 21 माला करें | यह साधना आप शिवरात्रि से पहले कभी भी शुरू करें | 11 दिन पहले कर सकते हैं | इससे कम न करें | ज्यादा दिन हो फायदा ही है और शिवरात्रि तक करें | शिवरात्रि को 4 पहर की पुजा करें मतलब रात में 4 बार पूजा की जाती है और हर बार आपको 5 या  11 माला मंत्र जप करना है | सुबह आरती करें और अपने कार्य कर सकते हैं | वैसे भी इस मंत्र का जप ज्यादा से ज्यादा कर लेना चाहिए | इसके बहुत लाभ मैंने महसूस किए हैं | यह  साधना शिवरात्रि पर ही नहीं किसी भी सोमवार से शुरू कर 21 दिन में भी की जा सकती है | इसलिए जो शिवरात्रि पर न कर पाये, किसी भी सोमवार शुरू कर कर लें |

मंत्र  

 || ॐ हँस सोहं परम शिवाए नमः ||

|| Om Hans Soham Param Shivaye Namah ||