धन लक्ष्मी साधना – Dhan Laxmi Sadhna

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दीपावली का शुभ मुहूर्त आ रहा है और हर कोई चाहता है उसके पास प्रचुर धन हो, जिससे वह अपने और अपने परिवार के सभी सपने पूरे कर सके | इंसान मेहनत तो सभी करते हैं | मेहनत करना ठीक भी है | मेहनत तो पत्थर तोड़ने वाले भी करते हैं पर बिना भाग्य किस्मत न जागे यह बात सिद्ध होती है, उन सभी को देख कर इसलिए इंसान को देव साधना का आसरा लेना गलत नहीं है, क्योंकि इससे श्रेष्ठ लक्ष्मी आती है और घर परिवार में खुशियों के रास्ते खुल जाते हैं बस जरूरत है तो इस तथ्य पर ध्यान देने की |

धन लक्ष्मी आज के युग में कल्पवृक्ष के समान फल देने वाली साधना है | जब सारे रास्ते बंद हो जाएँ तो इंसान को लक्ष्मी माँ जो की अद्वितीय शक्ति है, की शरण लेनी चाहिए | साधक स्वयं प्रयत्न करे तो क्या नहीं पा सकता | दीक्षा भी तब तक आंशिक बनी रहती है, जब तक आप स्वयं साधना न करें क्योंकि दीक्षा एक बीज की तरह है, जिसे गुरु शिष्य के ह्रदय में रोपण करते हैं और उसे सींच कर फलदार पेड़ आपको बनाना होता है, नहीं तो दीक्षा भी उसी तरह रहती है जैसे भाग्य की लकीर, जिसमें मिलना तो लिखा है मगर उसे पाने के लिए प्रयत्न किए बिना सब रास्ते धरे रह जाते हैं | इसलिए दीक्षा तो लें ही और गुरु जी से साधना विधि लेकर स्वयं साधना करें तभी आप साधक की श्रेणी में आयेंगे | जैसे एक भूला हुआ किसी से रास्ता पूछ लेता है और बताए हुए रास्ते पर चलता है | दीक्षा भी उस रास्ते का दिशा निर्देश होती है | रास्ते पर तो हुम लोगों को चलना होता है तभी मंजिल मिलती है  | इस लिए बहुत से साधक उच्चकोटि की दीक्षा लेकर भी नीरस ही रहते हैं क्योंकि वह साधक का जीवन अपनाए बिना ही सब कुछ पाना चाहते हैं | सद्गुरु जी के समय हर शिविर  साधनात्मक होता था | उसमें दीक्षा से ज्यादा साधना पर ज़ोर दिया जाता था | तभी तो हमारे अनेक वरिष्ठ गुरु भाई कुछ बन पाये | क्योंकि शिष्य उसी जीवन का अनुसरण करता है जैसा गुरु उसे देते हैं | हमारे सद्गुरु जी ने अति कृपा कर हमे साधक का जीवन दिया है | इस जीवन का अर्थ ही यही है, हर पल साधना के लिए तत्पर रहें | सिर्फ दीक्षा पर निर्भर मत होइए | क्योंकि दीक्षा गुरु कृपा है जो आपकी राह  को आसान करती है | यह भी सत्य है, दीक्षा गुरु कृपा है मगर साधना एक रोमांच है जिसे साधक स्वयं जीता है | कृपा भी उसी पर होती है जो साधक की परीक्षा में परिपूर्ण हो, नहीं तो दीक्षा भी ताले में बंद पड़े धन समान रह जाती है | इसलिए मैं कहता हूँ, अगर दीक्षा को अच्छी तरह से फलीभूत करना है, तो स्वयं साधक बनें और साधना करें | गुरु कृपा रूप में मिली दीक्षा का सदुपयोग करें | नहीं तो धन पाने के लिए धन देकर ली दीक्षा भी जाएगी और धन भी | यह बात मैं अपने अनुभव के आधार पर इसलिए कह रहा हूँ कि बहुत से साधक नित्य मिलते हैं और सबसे पहले यही कहते हैं कि हमने यह दीक्षा ली, वह दीक्षा ली मगर समस्या वहीँ की वहीँ | क्या गुरु ने कभी दीक्षा अंश कम दिया, नहीं गुरु कभी कम नहीं देते सिर्फ कमी हमारे अंदर है कि हम उसका उपयोग नहीं करते | तभी तो हमारे जीवन में चेंज नहीं आता | यहाँ मैं न साधक की बुराई कर रहा हूँ और न अपने किसी गुरु भाई की | मेरा कहने का सिर्फ इतना प्रयास है कि समय बहुत अनमोल है | यह एक बार निकल गया तो हाथ नहीं आएगा | इसलिए साधक का जीवन अपनाकर अपने जीवन को नई दिशा दें | हम सब गुरु भाई हमेशा आपके इस प्रयास में जैसी गुरु इच्छा हुई सहायता करते रहेंगे |

अब मैंने बहुत से साधकों को यही समस्या से जूझते हुए देखा कि उनके पास या तो धन नहीं है या घर के हालत धन की कमी के कारण खराब हैं और वह चाहकर भी जीवन में आगे नहीं बढ़ पा रहे | उन अपने सभी अनुज भाई और वरिष्ठ दोस्तों के लिए और जो इस समस्या से ग्रस्त हैं, जिनके पास धन का कोई साधन नहीं के बराबर है, उन सभी के लिए यह दीपावली पर विशेष की जाने वाली धन लक्ष्मी साधना दे रहा हूँ | इसे आप अभी से शुरू करलें | शुक्रवार से शुरू कर दीपावली को विशेष पूजन करें और दीपावली के बाद  21 दिन तक करें | ऐसा हो नहीं सकता आपने यह साधना की और आपके पास धन न आए | इससे साधक सभी प्रकार के ऋण से मुक्त हो कर पूर्ण ऐश्वर्य प्राप्त करता है | यह मैं दिल से कह रहा हूँ |

 विधि 

  • इस साधना को किसी भी शुक्रवार  शुरू कर 43 दिन तक किया जाता है, मगर धन तेरस और दीपावली यह शुभ मुहूर्त हैं | इसलिए आप दीपावली के बाद 21 दिन तक कर लें |
  • इस साधना को पीले वस्त्र पहन कर करें | महिलाएं पीली साड़ी इस्तेमाल कर सकती हैं |
  • आसन पीला ठीक है और दिशा उत्तर |
  • माला कमलगट्टे की लें यदि न मिले तो मूँगे अथवा स्फटिक की भी माला ले सकते हैं |
  • आपको कुल ११ माला मंत्र जप करना है |
  • साधना समय शाम ७ से १० बजे तक अच्छा है बाकी आप अपनी सुविधा अनुसार समय चुन लें |
  • शुद्ध घी की ज्योत साधना काल के समय जलती रहे और कोई भी सुगंधित अगरबत्ती लगा सकते हैं |
  • पूजन लक्ष्मी जी का करें और भोग के लिए खीर अथवा घर में बनी मिठाई का भोग लगा सकते हैं |
  • गुरु पूजन और श्री गणेश पूजन हर साधना में प्रथम करना अनिवार्य होता है |
  • साधना के बाद किसी कन्या को खीर का प्रसाद दें और दक्षिणा देकर आशीर्वाद लें |
  • साधना के अंतिम दिन किसी पात्र में अग्नि जला कर ११ माला मंत्र से हवन जरूर करें |

मुझे आशा है यह साधना आपके जीवन में बहुत बड़ा बदलाव लाएगी |

  मंत्र

 || ॐ श्रीं श्रीं क्लीं श्रीं लक्ष्मी आगच्छ आगच्छ मम मंदिरे तिष्ठ तिष्ठ स्वाहा || 

 || Om Shreem Shreem Kleem Shreem Luxmi Aagachh Aagachh Mam Mandire Tishth Tishth Swaha ||

 

 अर्थ

 ॐ — ओंकार अर्थात बिंदु स्वरूप

 श्रीं— श्री स्वरूप समस्त सुखों से परिपूर्ण

 श्रीं — अपने दिव्य श्री तत्व स्वरूप अर्थात समस्त प्रकार के भौतिक अथवा आध्यात्मिक सुख प्रदान करने वाली |

 क्लीं—अपने  क्लीम बीज युक्त मंत्र से मेरे शरीर व मन को सभी पापों से मुक्त करते हुये |

 श्रीं — अपनी समस्त श्री शक्तियों सहित |

 लक्ष्मी – हे ऐश्वर्य की देवी लक्ष्मी |

 आगच्छ आगच्छ  – आओ आओ  |

 मम मंदिरे तिष्ठ तिष्ठ – मेरे घर में स्थान ग्रहण करो |

 स्वाहा – अग्नि के समान जाज्वल्यमान मैं आपका स्वागत करता हूँ |

 अर्थात  – हे श्री स्वरूप लक्ष्मी आप अपनी श्री शक्तियों सहित अपने दिव्य क्लीं स्वरूप से मुझको समस्त पापों से मुक्त करते हुए, मुझको अपना श्री तत्व प्रदान करो, मैं आपका अभिवादन करता हूँ |