तीसरे नेत्र का रहस्यमयी विज्ञान –आध्यात्मिक विज्ञान -7 | The Mystery of Third Eye– 7

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कल्पना से सावधान रहें – अंतिम बात जो याद रखनी है, वो यह है कि आप अनेक कल्पना कर सकते हैं | इसलिए आपको अनेक बातें बता देना खतरनाक है | आप उसकी कल्पना कर सकते हैं | पिछले लेख में हमने समझा कैसे भैरव तंत्र विज्ञान द्वारा तीसरी आँख को चेतन करना है | इस लेख में हम कुछ सावधानियों पर  चर्चा करेंगे, आप अपनी आंखे बंद करेंगे तो यह कल्पना करेंगे  की आपकी आँख खुल रही है, अथवा खुल गई है | आप प्रकाश की भी कल्पना कर सकते हैं | कल्पना मत करिए, कल्पना करने से रोकिए | आंखे बंद कर लीजिये और प्रतीक्षा करिए | जो भी आए उसका इंतजार करिए | उसे अनुभव करिए उसके साथ सहयोग करिए परंतु जरा इंतजार करिए | आगे मत कुदिये | अन्यथा कुछ भी उद्घाटित नहीं होगा | ऐसी हालत में आप स्वप्न देख रहे होंगे, एक सुंदर आध्यात्मिक स्वप्न, परंतु इससे अधिक कुछ नहीं |

मेरे पास अनेक लोग आते हैं जो कहते हैं कि “उन्होंने ऐसा देखा, हमने यह देखा” | लेकिन उन्होंने उसकी कल्पना की होती है | कारण अगर उन्होंने वास्तव में कुछ देखा होता तो उनका रूपान्तरण हो जाता | लेकिन उनमें रूपान्तरण नहीं होता, वह व्यक्ति तो वही रहते हैं लेकिन अब उनमे एक आध्यात्मिक गर्व और जुड़ जाता है | उन्होंने कुछ  स्वप्न देखे होते हैं, सुंदर आध्यात्मिक स्वप्न | कोई कृष्ण को बांसुरी बजाते हुए देखता है तो कोई प्रकाश देखता है | कोई कुंडलिनी को उपर उठते देखता है | यह चीजों को देखते चले जाते हैं और वह वहीं के वहीं रहते हैं | मध्य श्रेणी के सुस्त मूर्ख | उन्हे कुछ भी घटित नहीं हुआ होता | वे वर्णन किए जाते हैं कि यह हो रहा है, वह हो रहा है | लेकिन वह पहले जैसे ही रहते हैं | क्रोधी, दुखी, बचपना, कुछ भी तो नहीं बदलता उनमें | यह बात इसलिए कह रहा हूँ कि तीसरी आँख जो दिखाती है वह कोरी कल्पना नहीं होती | इसपे एक छोटा सा अनुभव सुनाता हूँ, अभी पिछले दिसंबर की बात है मेरी एक परिचित लड़की जो यहाँ से बहुत दूर अमरीका में रहती है जबकि मैं इंग्लैंड मैं रहता हूँ, मुझे फोन किया कि मुझे कुछ हेल्थ प्रॉबलम हैं, आप देखो क्या हुआ है | उसने डॉ की सलाह तो ले ली थी पर मुझे प्रॉबलम के बारे कुछ नहीं बताया | मैंने उसे दोबारा फोन करने को कहा और उसके बारे चिंतन किया लेकिन जैसे ही तीसरी आँख सक्रिय हुई, जो देखा उस पर यकीन नहीं हो रहा था | मैंने टाइम बदल कर दोबारा देखा, सेम रिजल्ट | आखिर एक देव शक्ति से इस विषय में पुष्टि की और जब लड़की का दोबारा फोन आया तो मैंने उसे कह दिया कि ऐसा होना तो नहीं चाहिए मगर तुम्हारे शरीर के हार्मोन्स का बैलेंस बिगड़ने की वजह से तुम्हारी छाती से दूध आने लगा है जबकि वो लड़की कुंवारी थी | वो एक दम दंग रह गई और उसने स्वीकार किया कि ऐसा ही हुआ है | डॉ ने भी यही कहा है तो आप ही कोई हल दें मुझे | मैंने उस वक़्त कहा कि मैं इसका हल कर देता हूँ और उसे दूसरे दिन फोन करने को कहा | मैंने सुदर्शन रेकी का आवाहन किया, यहाँ यह बात भी बता देना चाहता हूँ कि सुदर्शन रेकी या शक्ति एक ऐसी क्रिया है जो मुझे आध्यात्मिक संत बाबा श्याम जी से प्राप्त हुई थी | उस वक़्त हम चार आदमी ही थे उनके पास तब उन्होंने हमे सुदर्शन चक्र शक्ति प्रदान की और कहा इस से किसी भी बीमारी, शत्रु बाधा को दूर कर अपनी सुरक्षा की जा सकती है और यह रेकी इतनी तीक्ष्ण है कि कुछ ही क्षणों में बीमारी को जड़ मूल से नष्ट कर देती है | मैंने उस लड़की के लिए यही क्रिया की और सुदर्शन रेकी से उसके चक्रों को शुद्ध किया और बैलेंस कर दिया और सम्बंधित प्रॉब्लम को नष्ट कर दिया | जब उसका तीसरे दिन फोन आया तो वो बिलकुल ठीक थी और उसने कहा कि उसे उसी शाम को जरूरत से ज्यादा गर्मी शरीर में महसूस हुई और ऐसा लगा कि सुनहरी प्रकाश का एक गोला तेज गति से घूमते हुए उसके सिर से प्रवेश कर गया और नीचे तक उतर गया मुलाधार तक, सभी चक्र जैसे घूम रहे हों और पाँच मिनट के बाद ही वो सिर से निकल कर आकाश की तरफ चला गया | उसके बाद सब शांत सा नया नया सा दिखाई दिया और ऐसा लगा कि मैं बिलकुल स्वस्थ हूँ | उसके बाद कभी यह प्रॉबलम उसे नहीं हुई | आज भी वो ठीक है | यह अनुभव सुनाने का अभिप्राय सिर्फ इतना है कि आप समझ सकें कि तीसरी आँख कभी गलत नहीं दिखाती इसलिए कल्पना से बचें |

यदि आप सच मे एक प्रकाश देखते हैं जो तीसरे नेत्र से दिखाई देने के लिए वहाँ पहले से प्रतीक्षा कर रहा है, आप देखने वाले दूसरे व्यक्ति होते हैं और तब आपको उसके बारे में किसी दूसरे को बताने की जरूरत नहीं रहेगी | लोग आपको देखते ही जान जायेंगे कि आप अब दूसरे व्यक्ति हैं | आप उसे छुपा भी नहीं सकेंगे | यह अनुभव किया जाने लगेगा | आप जहां भी जायेंगे लोग यह जान जायेंगे कि इस व्यक्ति के साथ कुछ घटित हुआ है | आप साधना करते रहिए और प्रतीक्षा करिए मत कुदिये आगे |

जैसा की मैंने इसे समझा और अनुभव किया है कि तीसरी आँख छ्ठे चक्र में स्थित है | ज्ञान उपलब्धि से पहले कई बार खुलती तथा बंद होती है | जब व्यक्ति की चेतना भली प्रकार से छ्ठे चक्र में स्थित हो जाती है, तृतीय नेत्र अपनी पूर्णता से प्रगट होता है और स्थाई रूप में खुला रहता है | इस स्तर पर पहुँचते ही पुरुष और स्त्री में शारीरिक  परिवर्तन घटित होते हैं | मैं इस पुरुष देह में जन्म लेने के कारण इन परिवर्तनों के बारे में अपने अनुभव से बता सकता हूँ |

जो व्यक्ति अपने तीसरे नेत्र के खुलने का अनुभव करता है | उसे अपने अंदर स्थित स्त्रीत्व की अनुभूति होती है | सन्याविक प्रणाली के जितने भी पहलू दबाए जाते रहे हैं क्योंकि पुरुष अपने पुरुषत्व को विकसित करने में लगा रहता है | वह सभी जाग जाते हैं और उनकी ग्रहण शीलता सक्रिय हो जाती है और मेरी समझ में पुर के शरीर में 51% पुरुष और 49% स्त्री के लक्षण होते हैं | पुरुष उतना ही स्त्रीओचित हो जाता है जितना कि वह पुरषोचित है, और स्त्री ऊर्जा के प्रति अनुकूल हो जाता है |

तृतीय नेत्र जब स्थाई तौर पर खुलता है तब अंदर की स्त्री ऊर्जा संतुलित हो जाती है | इस प्रकार जो पुरुष अपने अंदर की और बाहर की स्त्री ऊर्जा के साथ संगत बैठाता जाता है वह सभी कुछ स्त्री की तरह अनुभव करने लग जाता है | वह गहनतम स्तर मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक तौर पर स्त्री ऊर्जा को समझने लग जाता है तथा समान अनुभव करता है | उसके अंदर की दोनों उर्जायें पिघल कर एक बन जाती हैं | अधिक उच्च स्तर पर यह एक तंत्र है | यदि पहला कदम स्त्री और पुरुष ऊर्जा का पिघलना है तो अंतिम कदम मानव का देह्त्व से एकाकार होता है | यह साधक को बहुत ही श्रेष्ठ और उच्च अवस्था का अनुभव है | इसे ही अर्धनारीश्वर का रूप कहते हैं और जो साधक इस रूप को प्राप्त कर लेता है वो जगत का माता पिता कहलाता है और ब्रह्मांड नायक बनकर विचरता है | अंत ऐसी परम उच्च अवस्था गुरु कृपा के बिना प्राप्त नहीं होती | इसलिए साधक को प्रयास कर सद्गुरु चरणों में पहुँच कर ऐसी क्रिया पद्धति प्राप्त कर साधना में लगना चाहिए और जीवन में परम उच्च अवस्था को प्राप्त करना और सद्गुरु में लीन होना चाहिए | इससे आगे मांत्रिक प्रक्रिया है जिसके बारे आगे आने वाले किसी लेख में बता दूंगा |
बस अब तक इतना ही |

|| इति शुभव त्रितया नेत्र रहस्य ||

नागेन्द्रनंद