चक्रव्यूह यंत्र प्रयोग- सुखी प्रसव के लिए || Chakkarvyuh Yantra Prayog

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बिना ऑपरेशन प्रसव

आप के आस पास बहुत से केस ऐसे होते हैं जो कई बार जानलेवा होते हैं | लोग ऑपरेशन से बचने के लिए बच्चे की डिलीवरी के लिए किसी न किसी नर्सरी होम में जाते हैं पर आज कल डॉक्टर अपना फर्ज भूल कर पैसे कमाने के लालच में एक नहीं कई मासूम जिंदगियों से खेलते हैं | ऐसा मैंने बहुत बार देखा है | जहां ऑपरेशन की जरूरत भी न हो फिर भी ऑपरेशन कर देते हैं | जहां एक ज़िंदगी तो खराब होती है पैसा और वक़्त भी खराब होता है | कई लोग गरीबी की वजह से इस महंगे इलाज को नहीं सहन कर सकते फिर भी ऐसा करने को मजबूर होना पड़ता है | मैं यहाँ एक बहुत ही सरल प्रयोग दे रहा हूँ | मेरा ही नहीं कई संतो द्वारा बहुत लोगों पर आजमाया हुआ प्रयोग है और हर बार सफल हुआ है जोकि मुझे बाबा जी से प्राप्त हुआ  था | जिनकी सेवा में मैं 5 साल रहा वहाँ अक्सर ऐसे केस आते रहते थे और जितने लोगों को यह लिख कर दिया सभी पर सफल हुआ | यह यंत्र सैंकड़ों सालों से इसी तरह परखता हुआ लाखों जिंदगियों को बचा चुका है | इसलिए विश्वास से इसे करें | इसकी रचना ध्यान से देखें और एक कागज पर इसे बनाने का अभ्यास करें |  हो सकता है आपको थोड़ी मुश्किल हो लेकिन बन जाएगा | इस यंत्र के मुताबिक ही महाभारत के समय चक्र व्यूह रचना की गई थी | तबसे आज तक बहुत से संतो के डेरों में पीढ़ी दर पीढ़ी चला आया है | इस यंत्र के कई प्रयोग हैं | समय समय आपको इसके महत्वपूर्ण प्रयोगों से अवगत कराता रहूँगा | यहाँ प्रसव के वक़्त इसे कैसे प्रयोग करना है बता रहा हूँ | नागेन्द्रानंद |

विधि

एक कांसे की थाली लें और उसमें यह यंत्र गऊ लोचन से लिखें | यह अष्ट गंध में शामिल होने वाला एक गंध होता है जो आपको पंसारी से आसानी से मिल जाएगा | गौलोचन से कांसे की थाली में लिख कर गर्भवती महिला को एक बार दिखा कर उसमें जल डालें और थाली को घुमा घुमा कर यंत्र को उस पानी(जल)में घोल दें  और उसे ईश्वर से प्रार्थना करते हुए पीला दें जब प्रसव का टाइम हो | इससे बच्चा बिना तकलीफ पैदा हो जाएगा मतलब अगर भीषम स्तिथि भी होगी तो भी ऑपरेशन की जरूरत नहीं पड़ेगी | इसे परखा हुआ है | यहाँ तक भी परखा हुआ है अगर गर्भ में बच्चा मरा भी हो तो भी बाहर आ जाता है | यह तो हुआ यंत्र प्रयोग | अब एक परखा हुआ तंत्र बता रहा हूँ |

अपामार्ग

अपामार्ग को सभी जानते हैं | एक जड़ी होती है जिसमें उल्टे कांटे से होते हैं जो सभी जगह आसानी से मिल जाती है | जब आपको लगे की प्रसव आसान नहीं है तो एक दिन पहले एक लोटे में जल ले गर्भवती औरत की दांये हाथ की एक उंगली उसमें डुबोकर अपामार्ग के पास जाएँ और उस पर जल चढ़ाकर उसे न्योता देकर उस औरत यहाँ औरत का नाम ले सकते हैं यह कहें कि आप मेरे साथ चलकर इस औरत का सुखी प्रसव कराएं और एक डली गुड़ वहाँ रख दें और दूसरे दिन उसे जड़ समेत उखाड़ लायें और प्रसव के वक़्त उसे औरत के तकिये के नीचे रख दें | कुछ ही समय में सकुशल बच्चा पैदा हो जाएगा | ध्यान देने लायक यह बात है कि जब बच्चा पैदा हो जाए उसी वक़्त उस जड़ी को उठाकर घर से बाहर फेंक दें | यह बहुत ही जरूरी है नहीं तो बच्चे के साथ गर्भ बाहर आने का डर है | ऐसा करने से भी आप ऑपरेशन से बच सकते हैं |

गर्भ रक्षा

गर्भ रक्षा के लिए इस यंत्र को केसर या गऊ लोचन से कागज या भोज पत्र पर लिखकर गर्भवती महिला के कमर में पहना दें | इससे गिरता हुआ गर्भ रुक जायेगा | यंत्र के नीचे पाँचदशी यंत्र (पंद्रईया) यंत्र चक्रव्यूह यंत्र के नीचे लिख दें और औरत के कमर में बांध दें किसी भी शुद्ध कपड़े में पर कपड़ा काला न हो | इसके लिए पीला रंग सबसे उत्तम है | पुत्रजीवा के 2 बीज भी अगर किसी कपड़े में सिलकर कमर से बांध दिये जाएँ तो भी गिरता गर्भ रुक जाता है और पुत्र की रक्षा होती है | यह भी मेरा परखा हुआ है || नागेन्द्रानंद ||