कुंडलिनी जागरण साधना || Kundlini Jagran Sadhna

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कुंडलिनी जागरण साधना जीवन का अद्भुत सार माना जाता है | जब दिल में पूर्ण प्रेम भाव लेकर गुरु साधना संपन्न की जाती है | पाठ, मनन आदि आध्यात्मिक कर्म किए जाते हैं तो दिव्य अनुभूति होती है | मन में प्रकाश फैल जाता है | पूर्व जन्म की समृति याद होने लगती है | जिन साधकों का पूर्व जन्म का साधना सत्र ऊँचा होता है | विशेष कर्म से उसे इस जीवन में जोड़ा जा सकता है | कुंडलिनी जागरण के लाभ सभी साधक जानते हैं | इससे आध्यात्मिक जीवन का स्तर बढ़ जाता है | कार्य विशेष में सफलता मिलने लगती है | सिद्धि साकार होने लगती है | अतः ज्यादा विशेष न जाते हुये कुंडलिनी जागरण साधना साधकों के लाभार्थ हेतु दे रहा हूँ | आप विशेष गुरु तत्व सायुज्य दत्तात्रेय महायंत्र का पूजन कर पाँच मिनट प्राणायाम करें और एकाग्र मन से यह साधना करें | यह साधना अनुभव सिद्ध साधना है एवं विशेष फलदायी है | इस मंत्र का जप अवधूत रिद्धि सिद्धि माला से 21 माला 11 या 21 दिन करें या 1 घंटा रोज करें | दत्तात्रेय यंत्र पे त्राटक कुछ देर करें | सर्वप्रथम गणेश जी एवं गुरु पूजन कर साधना हेतु आज्ञा लें | फिर सफेद वस्त्र पहन कर सफेद आसन पर उत्तर की तरफ मुख कर साधना करें  | पूजन पंचौपचार जैसे की धूप, दीप,पुष्प, नैवेद्य आदि से करें | साधना में एकाग्रता का विशेष ध्यान रखें | मैं सद्गुरु जी के श्री चरणों में प्रार्थना करता हूँ कि आप पूर्ण सफल हों और आप आध्यात्मिक ऊँचाइयों को प्राप्त करें | यह साधना मैं “महा अधूवत शरणम” ग्रंथ में दे चुका हूँ | ऐसी ही अनेक साधनाओं का संग्रह इस छोटे से महाग्रंथ में दिया है जो साधक के आध्यात्मिक स्तर को ऊँचा करने में सहायक है |

विनियोग

ॐ अस्य श्री कुण्डलिनी  मंत्रस्य शक्ति  ऋषि :,गायत्री छन्द :, चेतना कुण्डलिनी शक्तिदेवता ऐं बीजं श्रीं शक्ति : ह्रीं कीलकं मम श्री कुण्डलिनी प्रीत्यर्थे जपे विनियोग : |

ऋषियादिन्यास

शक्ति ऋषिये नमः शिरसि |

गायत्री छन्दसे नमः मुखे |

चेतना कुण्डलिनी शक्ति देवतायै नमः हृदय |

ऐं बीजाये नमः गृह्रों |

श्रीं शकत्ये नमः पादयो |

ह्रीं कीलकाये नमः नाभों |

विनियोगाये नमः सर्वांगे |

 

करन्यास

ऐं  अंगुष्ठाभ्यां नमः |

ह्रीं तर्जनीभ्यां नमः |

श्रीं मध्यमाभ्यां नमः |

कुल कुण्डलिनी अनामिकाभ्यां नमः |

जगनमात कनिष्ठकाभ्यां नमः |

सिद्धिम देहि देहि करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः |

 

अंगन्यास

ऐं हृदयाभ्यां नमः |

ह्रीं शिरसे स्वाहा  |

श्रीं शिखायै वषट्  |

कुल कुण्डलिनी कवचाये हुं |

जगन्मात नेत्रत्रयाये वौषट् |

सिद्धिम देहि देहि नमः अस्त्राये फट |

अब मन को पवित्र करते हुये 10 मिंट ॐ हुं मंत्र से कुण्डलिनी जागरण की भावना करें | फिर नीचे दिये ध्यान मंत्र से कुण्डलिनी शक्ति का ध्यान करें |

ध्यान

सिंदूरारुणविग्रहां त्रिनयनां माणिक्यमौली स्फुरत्-

तारानायक शेखरां स्मितमुखी मापीन- वक्षोरूहाम् |

पाणिभ्या मलिपूर्णरत्न चषकं रक्तोत्पलं बिभर्ती |

सौम्यां रत्नघटस्थ- सव्यचरणां बन्दे परामम्बिकाम् ||

 

अब मानसिक पूजन करें

 

ॐ लं पृथिव्यात्कं गन्धं परिकल्पयामि |

ॐ हं आकाशात्मकं पुष्पं परिकल्पयामि |

ॐ यं वाय्वात्मकं धूपं परिकल्पयामि |

ॐ रं वहन्यातकं दीपं परिकल्पयामि |

ॐ वं अमृतात्मकं नवेद्मं परिकल्पयामि |

ॐ सं सर्वात्कं ताम्बूलं परिकल्पयामि |

मंत्र जाप 

श्री कुण्डलिनी जागरण मंत्र

|| ऐं ह्रीं श्रीं कुल कुण्डलिनी जगन्मात सिद्धिम देहि देहि नमः ||

|| Aim Hreem Shreem Kul Kundlini Jaganmaat Siddhim Dehi Dehi Namah ||

 

इस मंत्र का जप गुरु तत्व सायुज्य श्री दत्तात्रेय महायंत्र के सामने करें | जप रोज एक घण्टा करें | कुछ ही दिन में कुण्डलिनी जागरण की दिव्य अनुभूति होनी शुरू हो जाएगी | नगेंदर |

 

ॐ