नाथ सम्प्रदाय ने तंत्र जगत को कई नई दिशाओं से जोड़ा और बहुत ही दिव्य साधनाएं प्रदान की और साबर तंत्र की रचना कर साधनाओं को नये आयाम दिये | जरुरत है इसे समझने की | जगत कल्याण की भावना साधक को इस पंथ पर हमेशा आगे बढ़ाती है | स्वार्थी साधक से सिद्धि हमेशा दूर रहती है | इस लिए साधक की एक भाव भूमि तैयार होनी आवश्यक है | आप अपने मन को हमेशा साफ रख कर ही इस पंथ पर बढ़ें और अपने मन को सद्गुरु जी के चरणों में लगाते हुए अपने जीवन को प्रकाशमान बनाए | नागेंद्रानंद
जीवन में तीन चीजें हर एक को चाहिए, स्वस्थ शरीर, धन और मानसिक शांति इसके अलावा शत्रु पर विजय, जीवन में शत्रु तो होने स्वाभाविक हैं | क्योंकि जीवन की पाठशाला में शत्रु व्यक्ति को बहुत कुछ सीखा जाते हैं | शत्रु हों पर जीवन की उन्नति न रुके और जीवन अपनी अबाध गति से चलता रहे | कमी तो जीवन में कोई न कोई होती है पर उनकी पूर्ति होती रहे तभी एक सम्पूर्ण जीवन का आनंद ले सकते हैं | जिज्ञाशा साधक को नए साधना आयामो से जोड़ती है | जब जिज्ञाशा मन में होगी तभी खोज होगी और आप जीवन की वास्तविकता को समझते हुए अपने जीवन के लक्ष्य को पा सकें ऐसी ही कामना करता हूँ |
साबर साधनाओं में एक बहुत ही महत्वपूर्ण साधना का उल्लेख है जोकि नाथ सम्प्रदाय में कंठ विद्या के रूप में सुरक्षित है | जिससे जहां रोग मुक्त जीवन प्राप्त किया जा सकता है | अपने घर को अन्न, धन से भरपूर कर सकते हैं और जीवन की कमियों पर विजय प्राप्त करते हुए शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर जीवन को एक गति प्रदान की जाती है | यह एक शक्ति जागरण साधना है | जब शक्ति जागृत हो जाती है तो आपके हर कार्य को गति प्रदान करती है | इसके लिए कुछ नियम अपनाने जरूरी हैं | अन्नपूर्णा साधना चाहे कोई भी करे लेकिन यह नियम अपनाने जरूरी हैं | नागेंद्रानंद
विधि और नियम
1. अन्नपूर्णा साधना के लिए यह जरूरी है कि जब भी भोजन करें कभी झूठा भोजन न छोड़ें | भोजन को प्रसाद रूप में ग्रहण करें | जब भी रोटी लें, उतनी लें जितना खाना है | इसलिए पात्र में से उतनी रोटी निकालें जितनी खानी हो | भूलकर भी थाली से झूठी रोटी लेकर या थाली से वापिस रोटी पात्र में न रखें | मतलब रोटी बनाते हुए जिस पात्र में रोटी रखते हैं उसमें न रखें | उससे रोटी निकालें लेकिन उसमें दोबारा रोटी थाली से लेकर न रखें और पात्र को हमेशा कपड़े से ढक कर रखें | जब भी भोजन बन जाए तो एक गिलास जल लेकर प्रार्थना करें और फिर भोजन परोसें | जल बाद में किसी पौधे को डाल दें |
2. साधना को रसोई में भी किया जा सकता है | अंतिम दिन हलवा बना कर भोग लगाएं |
3. इसके लिए ऊन की माला श्रेष्ठ है | न मिले तो हकीक की लाल रंग की माला ले सकते हैं |
4. शुद्ध घी की ज्योत लगाएं और उसके पास एक पात्र में जल रखें |
5. वस्त्र लाल रंग या सफ़ेद रंग के पहने, आसन लाल रंग का और दिशा उतर ठीक रहती है |
6. जप पाँच माला करना है और 21 दिन करना है |
7. इस साधना के कई अनुभव होते हैं | किसी भी स्थिति में मन को विचलित न होने दें |
8. गुरु पूजन, गणेश पूजन और शिव और श्री गोरखनाथ जी का पंचौपचार पूजन कर आज्ञा लेकर साधना शुरू करें | माता अन्नपूर्णा का चित्र सामने स्थापित करें और घी की ज्योत लगा कर साधना शुरू करें | चित्र का पंचौपचार पूजन करें | सत्य बोलने की कोशिश करें, साधना में सफलता जल्द होगी | ब्रह्मचर्य का पालन अनिवार्य है |
साबर मंत्र
ॐ नमो गुरु जी को अदेस |
एक ओंकार की माया चले ,चले नाथ के संग ||
भंडारा भरपूर रखे काया रखे सुखी |
चले मंत्र फुरे ज्वाला मुखी ||
English Version
The nath sampraday has given many new directions to the world of tantra. They have given many amazing sadhnas and given a new horizon by creating sabar tantra.
We need to understand it. The feeling of philanthropy always motivates a sadhak to move forward on this path. Siddhi always remain distant from selfish sadhak. Hence it is important to create a platform for a sadhak. You always move forward on this path with mental chastity and enlighten your life by focusing your mind on the lotus feet of sadgurudev.
Everybody requires three things in the life healthy body, wealth and composure. In addition to that victory over enemies is also needed because it is usual to find enemies in life. Enemies teach many lessons in the school of life. Life must prosper inspite of enemies and should move on. We can enjoy life only when we get rid of miseries. Curiosity fetches a sadhak to new horizons. Inventions occur when mind is filled with curiosity and I wish that you achieve your target after attaining the reality of the life.
One very important sadhna is depicted in the sabar sadhnas which is also prevalent in nath sampraday as “kanth vidya”.
Through this sadhna, one can attain healthy life, propserity and excel in life by gaining victory over enemies and miseries of life.
This is a shakti awakening sadhna. When shakti awakes then she propel every aspect of your life but for that you need to follow certain rules. Whoever does this sadhna must follow these rules.
Procedure and rules:
1. It is necessary in annapoorna sadhna that one should not leave foods. One should take food as prasada. Take chapattis as per your appetite. So take as many chapati as you can eat and don’t put chapati back in the basket from your plate. Means never put back chapatis in that basket in which you keep chapatis while making the same. Basket must be covered with cloth. When the food is prepared then pray with one glass of water and then serve the food. Water may be poured on any tree later on.
2. Sadhna can be performed in kitchen also. Offer pudding(Halwa) on the last day as Bhog.
3. Woolen rosary is preferred. Else red hakeek rosary may be used.
4. Lit the lamp of pure ghee and place a pot of water nearby.
5. Wear red or white dress. Asana should be red and direction should be north.
6. Recite 5 rounds of rosary daily for 21 days.
7. Many experiences can be felt during sadhna but don’t let the mind dwindle.
8. Do panchopchar worship of guru, lord ganesha and shri gorakhnath and take permission for sadhna. Place mother annapoorna’s photo infront of you and start the sadhna after liting the lamp. Do panchopachar worship of photo also. Speaking truth will help in attaining success in sadhna fast.
9. Celibacy is inevitable.
Sabar Mantra
Om namo guruji ko ades
Ek omkar ki maya chale, chale nath ke sang
Bhandara Bharpoor rakhe, kaya rakhe sukhi
Chale mantra fure jwala mukhi