शाह परी हज्रैत साधना || Shah Pari Hajrait Sadhna

परी साधनाओं में शाह परी की साधना बेमिसाल मानी जाती है | इस साधना से शाह परी सशरीर  हाजिर होती है और साधक जो भी कहता है उसे पूरा करती है | कीमती से कीमती चीज लाकर देती है | जैसे आभूषण, पैसा आदि और बहुत सी ऐसी चीजें जो साधक की कल्पना से बाहर होती है वह भी कुछ ही मिनटों में हाजिर कर देती है | ऐसा मेरे दादा जी कहते थे | उनको यह सिद्ध थी | यह गिनती में शाह परियां 7 बहने हैं जो शाह मरार की सेवा में रहती हैं | शाह मरार की सेवा करती हैं, हुक्का आदि जिसे झारी कहते हैं भर कर देती हैं | ज्यादातर यह विधान गुप्त ही माने गये हैं | बहुत कम जो लोग जानते भी हैं वह किसी को बताते नहीं |

हज्रैत साधना की गोपनीय विधियां तो सैकड़ों हैं | यह प्रयोग मैंने बहुत बार आजमाया है | आप भी करें | इसके लिए आप किसी भी नौचंदे शुक्रवार को शुरू कर 41 दिन में यह साधना सिद्ध कर सकते हैं | पहले यह साधना कर सिद्ध कर लें | फिर इसके लाभ हाथों हाथ देखने को मिल जाते हैं | इससे आप किसी भी गये व्यक्ति का पता लगा सकते हैं, किसी अनसुलझे सवाल का उत्तर भी ले सकते हैं | यह सिर्फ आपको दिखाई देगी और कोई इसे देख नहीं पाता | शाह परी जिस पर खुश होती है उसे ईलम और दौलत से माला माल कर देती है | यह विधान पहली बार मैं जाहिर कर रहा हूँ |

विधि

इस साधना के लिए एक बाजोट पर सफेद वस्त्र बिछा दें | साधक खुद भी सफ़ेद वस्त्र पहने | तहमद जिसे लूँगी कहते हैं, पहन ले | एक घेरा सिंगरफ से अपने चारों और लगा लें | यह घेरा सुलेमानी रक्षा मंत्र पढ़ कर लगाएं जो मैं पहले पोस्ट कर चुका हूँ | अपने सामने एक बाजोट पर सफ़ेद वस्त्र बिछा दें | उस पर भी एक घेरा लगाकर उसमें 8 लोंग, 8 छोटी इलायची, 8 बतासे, एक सेंट की शीशी या इतर हो तो बहुत अच्छा है | आप हीना का इतर इस्तेमाल करें | सफेद कलियों का सेहरा या माला गूँथ के पास रखें |  कली मोतियाँ बहुत अच्छी रहती है | जिसे बंद कली भी कहते हैं | एक चिराग चमेली के तेल का लगा दें | उसे बाजोट पर अन्य पात्र में रखें | उसका पूजन पंचौपचार से किया जा सकता है | फिर निम्न मंत्र का 21 माला मोतियों की माला या हकीक सफेद या काली जो भी मिले पर ओरिजिनल माला हो, से जप करें | 

देहली में यह आपको निजामुदीन देहली दरगाह पर मिल जाएगी 101 मनके की जिसे तस्बीह कहा जाता है, वह सबसे श्रेष्ठ है | जो लोग अजमेर के पास रहते हैं उन्हे वहाँ से मिल जाएगी या आपके शहर में पूजा की दुकान से पता कर लें या किसी पंसारी से मंगा लें, वहाँ से आसानी से मिल जाएगी | हरिदूयार से ओरिजिनल मांग कर ले लें, वहाँ से भी मिल जाएगी | यह मुश्किल से 200 में मिल जाएगी, इससे ज्यादा नहीं |

शुक्रवार जब साधना शुरू करें तो उपवास रखें | शाम को खीर से उपवास तोड़ें और रात 10 बजे नहाकर साधना में बैठ जाएँ | दीप जगा दें, साथ में एक पात्र में गोबर के कंडे को जलाकर रखें और उस पर लोबान डालकर सुलगा दें | पहले गुरु मंत्र का एक माला जाप करें, फिर परी मंत्र का 31 माला जप उल्टी माला से करें | उसके बाद वहीँ सो जाएँ | इस तरह साधना पूर्ण होने से पहले ही शाह परी हाजिर हो जाती है | हाँ कई बार कुछ  अजीब से अनुभव जरूर होते हैं जैसे कमरे में किसी के चलने की आवाज, अचानक कोई आवाज कानों में आना, कमरे में खुशबू  फैल जाना लेकिन आप घबराये ना | हाँ दूध की बनी मिठाई पास रखें, जब शाह परी पास आकार बैठ जाये तो उसे कलियों की माला पहना दें और एक रुई के फ़ोये पर ईत्र लगाकर दें | वह आपके हाथ पर हाथ रखकर बचन दे देगी | साधना अनुभव किसी से न कहें जब तक आपका बचन न हो |

|| हज्रैत सिद्धि मंत्र ||

बिस्मिलाहि र रहमान र रहीम |

या सुलेमान बा हक़ रहमते आलेमीन शाह परी 

हाजर सो हाजर |

 

 || Sabar mantra ||

Bismi-llahi r rehmani r rheem

ya suleman ba haq rehmate aalemeen

shah pari hajar so hajar .

 

प्रयोग –2

ई बुआ

ई बुआ

ई बुआ 


साधना के बाद हज्रैत लगा सकते हैं | यह यंत्र स्वयं सिद्ध है | इसे लिखकर किसी बच्चे को बैठाकर उसके दायें हाथ के नाखून के नीचे रख दें यंत्र को फ़ोल्ड करके | फिर अंगूठे पर तेल लगा दें और बच्चे के हाथ पर हज्रैत उतारें जैसे कि हज्रैत के नियम होते हैं, उनका पालन करें | शाह परी को हाजिर होने को कहें,  वह बच्चे को नाखून में देखाई देगी | बच्चे को कहें कि  जिब्राइल जी शाह परी के लिए सुनहरी तखत लगाओ, शाह परी सुनहरी तख्त पर आकार बैठो | हे शाह परी हमारा एक सवाल है हल करोगी तो हाथ खड़ा करें | जब बच्चा आपको बता दे कि  हाथ खड़ा है तो अपना सवाल रखें | उत्तर मिल जाये तो शाह परी को तकलीफ देने के लिए क्षमा मांगे और सलामी दें | ऐसा करते ही शाह परी चली जाएगी | यह प्रयोग इसलिए दे रहा हूँ कि सबके सामने आप हर वक़्त शाह परी को हाजिर नहीं कर सकते क्योंकि इन शक्तियों की कुछ सीमाएं होती हैं जिन्हें कई बार यह क्रॉस नहीं करती नहीं तो हुक्म अदुली समझी जाती है खुदा की बारगाह में | लेकिन हज्रैत में ऐसा नहीं है इसलिए आप अपने सवालों के जवाब हज्रैत के जरिये ले सकते हो | आज के लिए बस इतना ही |