शनि मित्र है शत्रु नहीं, आमतौर पर देखा गया है, बहुत से ज्योतिषी शनि की साढ़े साती या अढ़ैया का डर दिखाकर आपसे धन ऐंठ लेते हैं | शनि हमेशा इंसाफ के देवता के नाम से जाने जाते हैं | फिर वह अपने भक्तों के साथ अन्याय कैसे कर सकते हैं | शनि की साढ़े साती मनुष्य को अपने तप में तपाकर कुन्दन कर देती है | साधक को चाहिए समय समय शनि साधना करे और अपने जीवन में आ रही समस्या का समाधान शनि की कृपा से प्राप्त करे | शनि अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करते, ऐसा मैं दावे के साथ कहता हूँ | इस संबंध में हमने शनि साधना की एक सीरीज शुरू की है | जिसकी एक साधना आप पहले हमारी वेबसाइट पर पढ़ चुके हैं जो रुका धन अथवा अखंड धन पाने के लिए थी | इस साधना से बहुत से साधकों ने लाभ लिया |
यह अचूक साधनाएं स्वयं माता छाया द्वारा बताई हुई हैं | इस सम्बन्ध में एक कथा शास्त्रों में वर्णित है, एक बार श्रावण के महीने में माता छाया स्नान करने नदी पर गई तो उनको अपना अक्स (छवि/छाया) नदी के पानी में दिखाई दी जिसमें उन्होंने अपने आपको बहुत बूढ़ी और बीमार महसूस किया | यह देखकर माता चिंतित हो गयीं | जब शनि घर आए तो माता से चिंता का कारण पूछा तो माता ने सारी स्थिति बताई | इस पर शनि देव ने कहा माता आप पर किसी कारण पातक दोष लग गया है, आपको किसी सन्यासी की पूजा करनी चाहिए तो माता ने नारद जी को अपने घर बुलाया पर नारद जी ने कहा माता वहाँ तो शनि देव रहेंगे, अगर आप शनि देव की कुदृष्टि से मेरी सुरक्षा सुनिश्चित करें तो मैं आ सकता हूँ | तो माता ने भरोसा दिया | जब नारद जी आए तो माता ने उनकी पूजा की और नारद जी के कहने पर उन्हे यह अचूक साधना मंत्र बताए | इन मंत्रो के सम्बन्ध में यह कहा जाता है कि शनि की कैसी भी महादशा हो या जीवन में कोई भी समस्या हो उसका निवारण शनि देव स्वयं करते ही हैं | इन साधनाओं को करने से शनि भगवान की कृपा जीवन भर बनी रहती है | जीवन में आने वाली सभी छोटी बड़ी रुकावटें स्वतः ठीक हो जाती हैं | इसी सीरीज में यह दूसरी साधना है |
घर का कलेश मनुष्य को अंदर से खोखला कर देता है | मन और दिमाग हर वक़्त अशांत रहता है | कोई भी कार्य ठीक से संपन्न नहीं होता | ऐसी हालत में अगर साधना भी करते हैं तो सफल नहीं होती | इसके लिए यह अचूक साधना है | इस साधना को करने से घर का कलेश दूर होता है और मन में एक संतोष मिलता है | हर कार्य में मन लगता है | ऐसा बहुत बार महसूस किया गया है |
साधना विधि
1. यह साधना शनिवार को करें |
2. साधना समय शाम 7 से रात 10 बजे तक ठीक है |
3. माला सफ़ेद चन्दन की लें |
4. आसन भूरे रंग का या कंबल का लें |
5. वस्त्र कोई भी पहन लें |
6. जप 9 माला करना है |
7. पुजा काल अथवा साधना के समय तेल का अखंड दीप जलता रहे जब तक आप मंत्र जाप करते हैं बाद में वह दीप किसी भी शिव मंदिर में जला के रख दें |
सर्वप्रथम एक बाजोट पर नीले रंग का वस्त्र बिछाएं और उस पर अक्षत (बिना टूटे हुए चावल) बिछाकर शनि भगवान की मूर्ति या चित्र स्थापित कर दें और साथ ही एक उसी वस्त्र पर नर्मदेश्वर शिवलिंग स्थापित करें | शनि भगवान का पूजन अक्षत, कुंकुम, धूप, दीप, नैवेद्य, फल आदि से करें और शिवलिंग का पूजन भी इन्ही सामग्रियों से करें | फिर पूर्व दिशा की ओर मुख कर निम्न मंत्र का 9 माला जप सफ़ेद चन्दन की माला से करें | कुछ बिल्व पत्र या फल, कुंकुम का तिलक लगाकर शनि भगवान को और शिवलिंग पर अर्पित करें |
मंत्र
|| ॐ ग्लौं शं स्तम्भय नाशय हुं ||
|| Om Gloum Sham Stambhay Naashay Hum ||
जप के पश्चात सारी पूजन सामग्री को उसी वस्त्र में बांध कर जल में प्रवाहित कर दें और चित्र अथवा शिवलिंग को पूजा स्थान में स्थापित कर दें |