बहुत बार हम जाने – अनजाने में ऐसे व्यक्ति पर विश्वाश कर बैठते हैं जो आगे चल कर धोखा देता है और हमे असहनीय दुख झेलना पड़ता है | ऐसा प्रेमियों के साथ भी होता है | कई बार ऐसे व्यक्ति से प्रेम कर बैठते हैं जिससे वापिस प्रेम नहीं मिलता और दुख की वेदना झेलनी पड़ती है | ऐसा किसी मित्र या परिवार के सदस्य की तरफ से भी धोखा मिलने पर हो सकता है या किसी वस्तु का मोह आपको जीने नहीं देता और हमारे रोज मिलने वाले व्यक्तियों जिन पर हमे बहुत विश्वाश होता है जब ऐसे व्यक्तियों पर हद से ज्यादा अपेक्षा कर बैठते हैं, यह भी विचार दिल में नहीं आता कि उनके दिल में क्या चल रहा होता है यही अंधश्रद्धा का रूप ले लेता है | धोखा मिलने पर हम खुद को कोसने के सिवा कुछ नहीं कर पाते | यह साधना ऐसे व्यक्तियों के लिए अचूक है | इससे व्यर्थ की आसक्ति का नाश होता है और हम अपने सही दोस्त बंधु का चुनाव आसानी से कर सकते हैं जिसके संबंध हमारे लिए अनुकूल साबित हों | यह साधना एक वरदान की तरह ही है | शनि देव की माता छाया जी द्वारा दी गई यह अचूक साधना बहुत लाभकारी है | जिससे हम धोखा खाने से बच सकते हैं और धोखेबाजों से दूर रह कर अपने जीवन को नई दिशा दे सकते हैं | मेरी कोशिश है कि मैं ऐसी साधनाएं आपके सामने लाऊं जिससे आप अपने जीवन के हर क्षेत्र में उन्नति पा सकें और वहीँ ऐसे धोखेबाजों से अपना बचाव भी कर सकें | इसी सम्बन्ध में शनि – साधनाओं की लड़ी शुरू की गई है | जिसके तहत यह चतुर्थ साधना है | पाँच अचूक साधनाएं और दी जाएँगी जो जीवन के हर पहलू को एक मजबूती देगी और आ रही समस्या से निजात दिलायेगी | पूर्व में वर्णित की गयी साधनाओं से बहुत लोगों ने लाभ लिया और अपने अनुभव भी मुझे भेजे | अब यह साधना भी आपके लिए बहुत लाभकारी होगी ऐसी मुझे आशा है |
विधि
काले रंग का कपड़ा एक बाजोट पर बिछा कर उस पर भगवान शनि का यंत्र अथवा चित्र स्थापित करें | एक पाँच मुखी रुद्राक्ष भी उस मूर्ति अथवा यंत्र चित्र आदि के सामने स्थापित कर दें | फिर शनि भगवान का पूजन पंचौपचार से करें और रुद्राक्ष का पूजन भी पंचौपचार से करें जिसमें धूप, दीप, चन्दन, अक्षत, गोरोचन, फल, पुष्प, नारियल मौली बांध कर अर्पित करें |
नीले रंग के आसन पर बैठकर उत्तर अथवा पूर्व दिशा की ओर मुख कर निम्न मंत्र का 7 अथवा 21 माला जप करें | जाप आपको लाल चन्दन की माला से ही करना है | यह बीज मंत्र बहुत प्रभावी है | जप समाप्ती के उपरांत रुद्राक्ष को काले धागे में पिरो कर “ॐ नमः शिवाय” का जप करते हुए धारण कर लें | इसे पहन कर ही रखें | सवा महीने के बाद आप इसे उतार सकते हैं या आगे भी पहन सकते हैं | जो न पहनना चाहें वह अपने पूजा स्थान में यह रुद्राक्ष काले धागे में पिरो कर रख लें | बाकी पूजन की हुई सामग्री नारियल आदि उसी काले वस्त्र में बांध कर जल प्रवाह कर दें अथवा शनि मंदिर में चढ़ा दें |
मंत्र
|| ॐ शं हं हं वं ॐ ||
|| Om Sham Ham Ham Wam Om ||