यह साधना आजीवन सुरक्षा के लिए की जाती है | कोई भी व्यक्ति जब घर से बाहर जाता है तो उसे हर पल एक भय का सामना करना पड़ता है | कभी दुर्घटना का भय, कभी असुरक्षा का भय और कभी कहीं से होने वाले तंत्र आदि का भय | यह साधना सभी भय का नाश करती है और एक कवच के रूप में यह शक्ति साधक में स्थापित हो जाती है | इससे सभी ज्ञात व अज्ञात भय दूर हो कर निर्भय जीवन की प्राप्ति होती है | यह एक सुरक्षा कवच की साधना है जो महा अवधूत शक्ति सुरक्षा हर पल देती है |
विधि
इस साधना हेतु काले रंग के आसन पर पूर्व अथवा उत्तर दिशा की ओर मुख कर बैठें | साधना के लिए एक बाजोट पर पीला वस्त्र बिछा दें और श्री दत्तात्रेय महायंत्र अथवा चित्र स्थाप्त कर पंचौपचार से पूजन करें | बेसन का भोग लगाएं | एक ताँबे की थाली में जल भरें | उस में एक दिया लगा दें और रिद्धि सिद्धि अवधूत माला से 21 माला निम्न मंत्र का जाप करें |
मंत्र
|| ॐ द्रां द्रां वज्र कवचाये हुं ||
|| Om Draam Draam Vajra Kavchaaye Hum ||
साधना के पश्चात जल किसी पौधे अथवा घर आदि में छिड़क दें | दिया किसी शिव मंदिर में जला कर रख दें | यह शक्ति आप में वज्र कवच के रूप में स्थापित होगी |