भैरव जी का यह रूप विशेष तौर पर संपत्ति, धन आदि प्रदान करने वाला है | इससे रोजगार के मौके मिलते हैं और घर में प्रेम का वातावरण बनता है | जीवन की मुश्किलों पर साधक विजय प्राप्त करता है |
नियम
इस साधना को जब करना हो तो खट्टे पदार्थों का सेवन न करें | साधना के दिन किसी श्वान (कुत्ते) को भोजन कराएँ | लहसुन और प्याज का इस्तेमाल न करें |
विधि
- एक बेजोट पर कुंकुम से “भं” बीज अंकित करें | उसपर काला वस्त्र बिछा कर भैरव जी का यंत्र अथवा चित्र स्थापित करें |
- साधक स्वयं काले वस्त्र धारण करे और काले आसान का उपयोग करे |
- तेल का दिया लगा दें और रुरु भैरव जी का पूजन पंचौपचार से करें |
- भोग बर्फी का लगाएं एवं एक नारियल पानी वाला लेकर लाल वस्त्र में लपेट कर भैरव जी को अर्पण करें और काला वस्त्र अर्पण करें |
- रात ८-२२ से लेकर १०.३० का टाइम रुरु काल कहलाता है |इस समय यह साधना का टाइम ठीक रहता है|
- बिना माला के मानसिक जप करें | आप सवा घंटे से लेकर २ घंटे तक जप कर सकते हैं |
- गंगा जल पास में रखें और पूजन के बाद या साधना के बाद घर का कूड़ा करकट घर से बाहर निकाल कर रख दें |
- साधना समाप्ती पर भैरव जी की आरती संपन्न करें और वस्त्र, नारियल भैरव जी अथवा शनि के मंदिर में चढा दें अथवा जल प्रवाह कर दें | उसी काले वस्त्र में बांध कर सामग्री जल प्रवाह की जा सकती है |
- भोग का प्रसाद अपने परिवार में बाँट दें | गंगा जल को घर में छिड़क दें |
मंत्र
|| ॐ भं भं ह्रौं रूरु भैरवाये नमः ||
|| Om Bham Bham Hroum Ruru Bhairvaye Namah ||