यह भैरव का रूप विशेष कर भयंकर से भयंकर रोग को दूर करता है | असाध्य रोग नष्ट होते हैं | आगे रोगों से सुरक्षा आदि होती है | अगर आपका कोई परिचित असाध्य रोग से पीड़ित है तो आप उसके लिए भी यह साधना कर सकते हैं | इसके बहुत से लाभ हैं | आंतरिक दुंदू, मानसिक रोग ,चिंता का हरण , मन में चल रही हीन भावनाएं नष्ट होती हैं और साधक नई ऊर्जा को हर पल महसूस करता है |
विधि व नियम
भैरव साधना में विशेष कर नियम पालन करने बहुत जरूरी होते हैं | इसलिए इस बात का विशेष ख्याल रखें | कई बार छोटी सी गलती भी आपके साधना कर्म को नष्ट कर देती है |
नियम
- जिस दिन आप भैरव के किसी भी रूप की साधना करें , उस दिन लहसुन और प्याज न खाएं |
- किसी का जूठा न खाएं , विशेष कर झूठा पानी आदि न पीएं |
- दिन को न सोयें |
- प्लास्टिक के बर्तनों में भोजन आदि न करें | इन साधनाओं में ताँबे आदि के बर्तन विशेष कर लाभ देते हैं | प्लास्टिक के पात्र किसी भी हालत में न बरतें |
- खट्टी चीजे न खाएं |
साधना विधि
- इस साधना को किसी भी शुभ दिन किया जा सकता है | फिर भी मंगलवार, शनिवार, और रविवार विशेष कर ठीक रहते हैं |
- साधना समय इसे आप रात्री 9 बजे से लेकर 12:35 तक कर लें | यह समय विशेष प्रभावकारी है |
- इस साधना से पहले कोई भी पीपल आदि का पौधा किसी गमले में लगा कर पूजा स्थान पर रखें | नहीं तो किसी पीपल के पेड़ के नीचे साधना की जा सकती है | उस पौधे का पूजन करें | बाद में यह पौधा कहीं भी मंदिर अथवा नदी आदि के किनारे लगा सकते हैं |
- घर के मुख्य दुआर पर कुंकुम से एक त्रिशूल बनाएँ |
- एक बाजोट पर लाल वस्त्र बिछा दें | उस पर भैरव जी का चित्र स्थापित करें | उसका पूजन धूप, दीप, अक्षत , कुंकुम ,नैवेद्य, पुष्प आदि से करें और फल सेब आदि चढ़ा दें | पूजा के लिए लाल पुष्प इस्तेमाल करें | एक अन्य पात्र में काली सरसों के कुछ दाने स्थापित करदें | उसका भी पूजन करें |
- भोग के लिए दो लड्डू किसी पात्र में रख कर अर्पण करें | एक पान के पत्ते पर कुछ लॉन्ग, सुपारी, छोटी इलायची रख कर अर्पण करें , इसके अलावा केसर और शहद भी अर्पण करें | एक लाल वस्त्र भैरव जी को अर्पण करना चाहिए |
- आप लाल वस्त्र पहन कर लाल आसन पर पूर्व दिशा की ओर मुख कर बैठें |
- बिना माला के मानसिक जप करें | भैरव पूजन से पहले गुरु पूजन और गणेश पूजन भी करें | गुरु मंत्र का 2 माला जप करें | फिर निम्न मंत्र का 1-25 घंटे से लेकर 3 घंटे तक जप किया जा सकता है | आप अपनी सुविधा अनुसार कर लें |
- साधना के बाद भैरव जी की आरती उतारें और आपको या आपके परिचित को जो भी रोग है या सर्व रोग शांति के लिए प्रार्थना करें |
मंत्र
|| ॐ भं भं सः असितांगाये नमः ||
|| Om Bham Bham Sah Asitaangaaye Namah ||
साधना के बाद समस्त पूजन की हुई सामग्री आप उसी लाल वस्त्र आदि में बांध कर जल प्रवाह कर दें | पीपल किसी अन्य जगह लगा दें जैसे मंदिर या नदी आदि के किनारे |
यह भैरव साधना आपके जीवन में सर्व रोग मिटा कर आपके जीवन को रोग मुक्त करे, मैं सद्गुरुदेव जी के चरणों में ऐसी ही कामना करता हूँ |