साबर लक्ष्मी साधना || Lakshmi Sabar Sadhna ||

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यह एक महत्वपूर्ण साधना है, जब लक्ष्मी प्राप्ति के सभी प्रयत्न विफल हो जाते हैं, तो साधक अपना मनोरथ इस साधना के माध्यम से अवश्य पूरा कर सकता है | इसके लिए हमारे ऋषि मुनियों ने अनेक साधना प्रयोग दिए हैं | इन साधनाओं में साधना सामग्री की इतनी आवश्यकता तो नहीं होती फिर भी अगर आप साबर सिद्धि यंत्र य़ा श्री दत्तात्रेय यंत्र अथवा श्रीयंत्र अपने पास रख लें तो ज्यादा उचित रहता है | यहाँ मैं लक्ष्मी जी की एक अद्भुत  साधना दे रहा हूँ | इसे आप कभी भी सिद्ध कर सकते हैं | फिर भी नवरात्री से दीपावली तक का समय बहुत ही उचित है या जिस दिन रोहणी नक्षत्र हो उस दिन शुरू करें तो सफलता का संशय नहीं रहता और पूर्णिमा को इस मन्त्र से हवन भी कर सकते हैं | हवन सामग्री में घी मेवे और कमलगट्टे, शक्कर मिला सकते हैं | इसका हवन खुले आसमान के नीचे करना है बंद कमरे में नहीं | अगर स्थान पर्याप्त ना हो तो किसी भी मंदिर में जाकर कर सकते हैं | वहां के पंडित को बोल दें वो कुछ दक्षिणा लेकर हवन का प्रबंध कर देगा लेकिन मंत्र गुप्त रखें | इस साधना में लक्ष्मी को सौगंध दी जाती है कि वह हमेशा आपके घर परिवार पर अपनी कृपा बरसाती रहे और हमेशा आपके कार्यो को जो धन की वजह से रुक गये हों, उन्हे  पूरा करती रहें और प्रत्यक्ष होकर आपके कार्य को सहयोग दें | यह मन्त्र भी नाथ सम्प्रदाय की साधनाओं में आता है और अपने आप में काफी रहस्य संजोये हुए है | मेरा प्रयत्न है कि आपके समक्ष मैं वही साधना लाऊं जो किसी किताब से या कॉपी की बजाये सिद्ध साधकों द्वारा परखी हुई हो | अब लाभ तो वही ले सकता है जो करेगा | 

 

चलो आप इस रहस्य से भी परिचित हो लक्ष्मी सागर मंथन से प्रकट हुई जिसे नारायण जी ने वरा और लक्ष्मी के साथ चन्द्र और अप्सराएं भी सागर मंथन से प्रकट हुई | चन्द्र को भगवान शंकर जी ने धारण किया और अप्सराएं इंद्र सभा को सोंप  दी गई | इस नाते चंद्रमा लक्ष्मी का भाई है | इन्सान को जब भी जरूरत पड़ी है वो किसी ना किसी प्रयत्न से उस स्थिति को पाना चाहता है | जिसमें उसे श्रेष्ठता मिले और दूसरों का मोहताज ना बने इसलिए कई सिद्ध योगियों ने प्रयत्न कर ऐसी साधना विधियों का निर्माण किया जो उसे एक श्रेष्ठ  तत्व प्रदान  कर लघु से महान बनाती है | विज्ञानं के युग में समय के साथ वह क्रियाएं लुप्त होती गई और इन्सान इसी अध्यात्म की कमी से आर्थिक और भौतिक पक्ष से कमजोर होता गया | असुरो ने मंत्रो से बहुत ही महान सिद्धि कर ली और देवताओं से उनके अधिकार छीन लिए तो शंकर जी को सभी मन्त्र कीलित करने पड़े और इसी से काफी प्रयत्न के बाद जब सिद्धि नहीं हुई तो ऋषियों ने उत्कीलन की प्राप्ति के लिए तप किया और नाथ पंथ के योगियों जिनमें श्री गोरखनाथ जी बहुत श्रेष्ठ सिद्ध पुरुष हुए हैं | उन्होंने साबर मंत्रो की रचना की और सिद्धियों को और भी सुगम बना दिया यहीं से साबर रहस्य शुरू होता है | अलग अलग सम्प्रदायों में अलग अलग विधान है | यहाँ यह साधना प्रयोग दे रहा हूँ, इससे मैं यह तो नहीं कहता कि लक्ष्मी आपके समक्ष प्रकट हो जाएगी मगर धन के नये नये आयाम बन जायेंगे और सुख सुविधा से आपका घर भर जरुर जायेगा | क्योंकि सभी सुख लक्ष्मी का रूप होते हैं|

विधि

  • इसे आप रोहणी नक्षत्र में शुरू करें, यह २१ दिन की साधना है |
  • कमलगट्टे की माला से २१ माला मन्त्र जपना है |
  • वस्त्र वही पहनें जो आपको अच्छे लगते हों | आप काला रंग छोड़कर सभी किस्म के वस्त्र पहन सकते हैं |
  • साधना समय शाम ७ बजे से रात्रि १० बजे तक कभी भी कर सकते हैं |
  • अपने सामने एक बाजोट पर पीला वस्त्र बिछाकर उस पर श्री यंत्र स्थापित कर लें और उसी का पूजन करें | गुरु पूजन और गणेश पूजन के बाद नव नाथों को नमस्कार करें य़ा आदेश बुलाएं | अगर मिल जाये तो श्री दतात्रय यंत्र की स्थापना जरुर कर लें |  इसका कोई दोष भी नहीं लगता और पूजा भी आसान है | उल्टा सीधा जैसा भी रख लिया जाये, कभी इसका दोष नहीं लगता क्योंकि महाअवधूत तत्व सभी जगह व्याप्त  है | अगर उनको याद कर धूल की चुटकी भी उडा दी जाये तो भी पूजा हो जाती है | इस यंत्र की महानता बहुत है और आपके पास कभी धन की कमी भी नहीं आने देता | आप किसी भी  तरह प्रयत्न  कर इसे गुरु हाथ से ले लें तो बहुत ही श्रेष्ठ होता है | नहीं तो जैसा मिले गुरु जी के चित्र सामने रख पूजन कर लें और इसे घर में य़ा पूजा कक्ष में स्थापन कर दें |
  • फिर कमलगट्टे की माला से २१ माला मन्त्र जप कर लें | उसी माला से पहले और बाद में एक एक माला गुरु मन्त्र की जरुर करें | मन्त्र छोटा सा है इसमें ज्यादा समय नहीं लगेगा |
  • घी का दीपक या ज्योत लगा लें और अगरबत्ती आदि लगा दें |


 

साबर मन्त्र

|| ॐ सागर सुता नारायण की प्यारी चन्द्र भ्राता की सोगंध हाजर हो ||

Sabar Mantra

|| Om Sagar Suta Narayan Ki Pyari Chandra Bhrata Ki Sogandh Hajr Ho ||