समर्पण – 7

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आज आपसे अपने अनुभव बांटते हुए मुझे बहुत प्रसन्ता हो रही है | इस तरह मेरी यादें भी ताजा हो जाती हैं और कुछ अनसुलझे पहलुओं पर रौशनी भी पड जाती है | आपकी तरफ से मिल रहा स्नेह मुझे लिखने को विवश कर देता है | आज शमशान साधना के कुछ रहस्य उजागर करूँगा एक अनुभव के तहत |

कई साधकों को लिखते हुए और कहते हुए सुना कि  हमने शमशान साधना की, हमारा अगला प्रोग्राम शमशान साधना का है आदि आदि | बाबा रामनाथ के विषय में अगले लेख में लिखूंगा | मैं समझता हूँ कि शमशान साधना बहुत ही रहस्यमई है और जो यह कहते हैं कि हमने शमशान साधना की वो किसी ना किसी वजह से साधना के इस पक्ष से अनभिज्ञ हैं  | शमशान साधना में तो बड़े बड़े साधक थरथरा उठते हैं और पत्थर से पत्थर दिल भी दहल जाते हैं | शमशान के अंदर बैठ कर एक दो क्रियाएं करने को मैं शमशान साधना नहीं मानता |  गुरु जी ने भी इस के कई पहलुओं पर रौशनी डाली है | शमशान अघोर और औघड़ पथ के साधकों और भैरव पथ के कापालिकों के लिए नंदन कानन के समान है | वोही पवित्रता से अपने आपको उस परम तत्व में विसर्जन कर देने की क्रिया का दिव्य स्थल और आम गृहस्थों के लिए मुर्दे जलने की जगह के सिवा कुछ नहीं | कई बार शमशान साधना में बड़ी से बड़ी  कुर्बानी भी देनी पड़ सकती है इसलिए इसे साधने से पूर्व सभी पक्षों पर पुन्र विचार कर लेना चाहिए | सिर्फ किताबी ज्ञान और अधकचरे ज्ञान के माध्यम से यह रिस्क कभी ना लें | अगर फिर भी जिज्ञाशा है तो किसी अनुभवी व्यक्ति का साथ बहुत जरुरी है, वो भी किसी हद तक ही आपको ले जा सकता है | आगे जो मैं लेख दे रहा हूँ उसे पढ़कर आप समझ जायेंगे कि मैं ऐसा क्यों कह रहा हूँ |

मुझे मंदिर में रहते हुए काफी समय हो गया था | मैं हुस्नचन्द जी के निर्देशन में काफी साधना के आयामों को समझ चुका था | हुस्नचन्द की उम्र 60 के करीब थी और उसके दो बेटे एक 8  साल का और 12 साल का था और दो लडकियां जो बड़ी थी | मैंने कभी इस विषय पर चर्चा करनी ठीक नहीं समझी थी लेकिन एक दिन शमशान साधना के विषय पर चर्चा शुरू हो गई तब अखंडानन्द जी भी जीवत थे | हम तीनों बैठे इस गहन विषय पर चर्चा करने लगे तो मैंने कहा, कई साधकों को कहते सुना है कि हमने वहाँ शमशान साधना की तो हुस्नचन्द जी कहने लगे वो वाकिफ नहीं है इस पहलु से | शमशान जब जागता है तो बड़े बड़े साधकों के पसीने छूट जाते हैं | मैंने कहा आपने तो शमशान साधना में काफी समय बिताया हैं कुछ सुनाएं, तभी उन्होंने बात शुरू की |

मेरे पास काफी नाथ पंथ के जोगियों का आना जाना रहता था और शमशान साधना का इतना था कि हमारे लिए वो घर के समान ही था | एक कुटिया शमशान के नजदीक ही डाल ली थी और पूरी बोतल शराब की पीकर मस्ती में शमशान में रम जाते थे और भीषण से भीषण  साधना को सिद्ध करके ही छोड़ते थे | रात्रि में इतना चाव चढ़ता कि आनंद में ही रहते | वहाँ की कई आत्माएं तो हमारे लिए मित्रवत हो गई थी | एक समय हमे तेलिया मसान साधने का मन हुआ और एक नाथ ने बताया था कि इससे कुछ भी कार्य कराया जा सकता है | हम साधना के पहलु आम की तरह लेते थे और तेलिया मसान तो हम साधकर ही छोड़ेंगे | यहाँ मैं साधकों की जानकारी के लिए बता देना चाहता हूँ कि ब्रह्म राक्षस की भाँती तेलिया मसान भी बहुत ही खतरनाक साधनाओं  में से एक है जो पुरे शमशान को जागृत कर देती है और साधक के लिए अपनी जान बचाकर भागना भी मुश्किल हो जाता है |

अब साधना सिद्ध करने के लिए तेली की खोपड़ी चाहिए थी | मेरी नजर में एक मुस्लमान तेली की कब्र थी और हमने अपने एक साथी को साथ लेकर रात्रि 2 बजे उसकी खोपड़ी ले आये और दुसरे दिन ही शमशान की यह नई क्रिया शुरू कर दी | खोपड़ी का खप्पर बना लिया था और शमशान का भोग उसी में बनाते और भोग लगाने के बाद स्वयं भी प्रसाद लेते | यह अघोर क्रिया का एक पहलु है | शमशान में नई नई आतिशबाजी होना रोज की बात थी इसलिए उससे कभी विचलित नहीं होते | कभी चिता से उड़कर आग पुरे आकाश में छा जाती कभी भयानक आवाजें दिल दहला जाती, कभी भूत प्रकट होकर नृत्य करने लगते | हमें साधना शुरू किये हुए 40 दिन से उपर समय हो गया था और अब साधना का फल मिलने का समय नजदीक था | उन्ही दिनों एक नाथ हमारे यहाँ आ गया और हमने उसे कहा, बाबा जी आप कुटिया में रहो, हम अपनी क्रिया करके आते हैं तो वो जिद करने लगा | उन दिनों मैं अकेला था, मैंने उसे बहुत मना किया मगर वो कहने लगा, मैंने ऐसी बहुत शमशान क्रियाएं की हैं | मैंने सोचा नाथ है, झूठ तो बोलेगा नहीं, इसे इस क्रिया का पता होगा और मैं उसे अपने साथ ले गया | मैंने उसे कहा, बाबा जी मैं शमशान की कील लगा दूं  क्योंकि यह बहुत खतरनाक क्रिया है तो कहने लगा मैं खुद लगा लूँगा, मुझे मालूम है शमशान कील | तो मैंने यकीन कर लिया और अपनी क्रिया शुरू कर दी | धीरे धीरे कर के शमशान अपने यौवन पर आ रहा था | कुछ ही समय में शमशान जागृत होने लगा | मैंने नाथ की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया क्योंकि उसने कील लगा ली थी इसलिए निश्चित था | जैसे ही शमशान जागृत हुआ नाथ के पसीने छूटने लगे और तेलिया मसान प्रकट  होने वाला था और नाथ उठकर भागने की स्थिति में था | मगर तब तक मसान प्रकट हो चूका था और उसने आस पास देखा, मैं निर्भीक होकर अपनी क्रिया करता रहा | एक दर्दनाक चीख ने मेरा ध्यान भंग किया, देखा तो उस मसान ने नाथ को उठाकर  चिता की तेज लपटों में ले लिया था और वह छटपटा रहा था | अरे.. यह क्या.. यह नाथ तो आज मारा जायेगा | मैंने एक दम से उसे बचाने के लिए कील से बाहर अपनी क्रिया छोड़कर आया | तब तक नाथ को चिता की अग्नि लील चुकी थी | यह आज क्या हो गया, मैंने क्यों इसके झूठ पर यकीन कर लिया | अभी क्या करूँ, मैं ध्यान उस तरफ लग गया और मसान बेकाबू होकर मेरे घर पहुँच गया | तुम्हारी उम्र के मेरे दो लड़के थे, मसान ने एक ही झटके में दोनों को ख़त्म कर दिया | जब मैं घर पहुंचा तो घर में मातम का माहौल था | यह क्या हो गया , मुझे खुद पर और मसान पर बहुत गुस्सा आया | मैं इसे छोडूंगा  नहीं | इसने मेरा घर बर्बाद कर दिया, अब यह भी नहीं बच सकता और मैंने शमशान की तरफ जाकर उसको बुलाया, वह हाजिर हो गया | यह क्या किया तुमने, मेरा घर बर्बाद कर दिया तो वो बोला जब मैं आता हूँ तो 8 आदमी का भोजन करता हूँ |  अब तुम जब क्रिया से उठ गये और साधना की तरफ तुम्हारा  ध्यान हट गया तो मैं तेरे घर पहुँच गया | अब तुम बताओ तुम्हारा क्या काम करूँ, तो मैंने उसे कील लिया और खप्पर में ही कैद कर लिया कि यह कहीं और नुकसान ना करे |

पुत्रों का संस्कार करने के पश्चात कहीं मन नहीं लग रहा था और मैं गुरूजी के पास पहुँच गया और रोने लगा गुरूजी ने कुछ सोचकर  आश्वासन दिया और कहा तुम्हारे वो पुत्र तो तुम्हे वापिस कर देता हूँ लेकिन दोबारा ऐसी क्रिया मुझसे बिना पूछे ना करना और काफी समय बाद बड़े लड़के का जन्म हुआ और फिर 4  साल बाद दुसरे का, तभी इनकी उम्र ऐसी लगती है |

अब आप समझ गये होंगे कि हुस्नचन्द जी जैसे अग्रगण्य  साधक को शमशान साधना की क्या कीमत चुकानी पड़ी | मगर साधक कभी हार नहीं मानते | साधना ही उनका लक्ष्य होती है | अगर फिर भी ऐसे साधक हैं जो हौसला रखते हैं तो मुझे उनकी सहायता करके ख़ुशी होगी | मगर जो इस क्रिया को सिद्ध करने का दावा करते हैं गृहस्थ जीवन में रहते हुए तो उन्हें खुला निमंत्रण देता हूँ, शमशान को जागृत भी चलो हम ही कर देंगे अगर वो तीन मिनट से ज्यादा शमशान में ठहर गये तो जो मांगोगे ख़ुशी से दे दूंगा | आज के लिए बस इतना ही |

(क्रमशः)