रुरु (रूद्र) भैरव साधना (अष्ट भैरव साधना) – Ruru Bhairav Sadhna

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भैरव जी का यह रूप विशेष तौर पर संपत्ति, धन आदि प्रदान करने वाला है | इससे रोजगार के मौके मिलते हैं और घर में प्रेम का वातावरण बनता है | जीवन की मुश्किलों पर साधक विजय प्राप्त करता है |

 नियम

 इस साधना को जब करना हो तो खट्टे पदार्थों का सेवन न करें | साधना के दिन किसी श्वान (कुत्ते) को भोजन कराएँ | लहसुन और प्याज का इस्तेमाल न करें |

 विधि 

  • एक बेजोट पर कुंकुम से “भं” बीज अंकित करें | उसपर काला वस्त्र बिछा कर भैरव जी का यंत्र अथवा चित्र स्थापित करें |
  • साधक स्वयं काले वस्त्र धारण करे और काले आसान का उपयोग करे |
  • तेल का दिया लगा दें और रुरु भैरव जी का पूजन पंचौपचार से करें |
  • भोग बर्फी का लगाएं एवं एक नारियल पानी  वाला लेकर लाल वस्त्र में लपेट कर भैरव जी को अर्पण करें और काला वस्त्र अर्पण करें |
  • रात ८-२२ से लेकर १०.३० का टाइम रुरु काल कहलाता है |इस समय यह साधना का टाइम ठीक रहता है|
  • बिना माला के मानसिक जप करें | आप सवा घंटे से लेकर २ घंटे तक जप कर सकते हैं |
  • गंगा जल पास में रखें और पूजन के बाद या साधना के बाद घर का कूड़ा करकट घर से बाहर निकाल कर रख दें |
  • साधना समाप्ती पर भैरव जी की आरती संपन्न करें और वस्त्र, नारियल भैरव जी अथवा शनि के मंदिर में चढा दें अथवा जल प्रवाह कर दें | उसी काले वस्त्र में बांध कर सामग्री जल प्रवाह की जा सकती है |
  • भोग का प्रसाद अपने परिवार में बाँट दें | गंगा जल को घर में छिड़क दें |

 मंत्र

 || ॐ भं भं ह्रौं रूरु भैरवाये नमः ||

 || Om Bham Bham Hroum Ruru Bhairvaye Namah ||