इस साधना को पूरी तरह परख के ही दे रहा हूँ ! इससे हनुमान जी के प्रत्यक्ष दर्शन हो जाते हैं ! वचन भी हो जाता है पर इसे किसी निर्देशन में ही करें ! बहुत बार ऐसा देखा गया है कि कुछ साधक ऐसी साधनाओं से अपनी मनोदशा खो देते हैं ! क्योंकि उन्हे समझ नहीं आता कि क्या करें ! प्रत्यक्षीकरण कोई खेल नहीं है ! सूर्य जैसा तेज पुंज जब आँखों के सामने होता है तो कमरे में इतनी रोशनी हो जाती है कि आँखें चुंधिया जाती हैं ! बाकी आपकी भक्ति या मनोदशा पर निर्भर करता है कि आप साधना को किस दृष्टि से ले रहे हैं ! अगर कोई नहीं तो सद्गुरु हैं बस इतना मन में रखें ! फिर भी यही कहूँगा कि इसे गुरु आज्ञा या गुरु निर्देशन में ही करें ! यह साधना बहुत साधक कर चुके हैं और सफल भी हुए हैं ! इसे आप हनुमान जी के मंदिर में या किसी नदी के किनारे या किसी पर्वत शिखर पर करें तो ज्यादा बेहतर है ! बाकी अगर आपके पास सेपरेट साधना कक्ष है जिसमें आपके अलावा कोई और न जा सकता हो और पूर्ण पवित्र और शुद्ध वातावरण हो तो आप उसमें भी कर सकते हैं ! फिर भी मेरी राय में इसे नदी पर करना ही ठीक रहता है या खुले मैदान में !
तैयारी
सबसे पहले आप अपने लिए वस्त्र लें जिन्हें केवल साधना के वक़्त पहने ! वस्त्र सफ़ेद या लाल ले सकते हैं ! लंगोट भी पहनकर कर सकते हैं, नहीं तो लाल या सफ़ेद धोती पहन लें और गुरु पीतांबर ले सकते हैं ! आसन सफ़ेद या लाल लें और साथ में लड्डू, सिंदूर और फल के रूप में केले, एक दिया और धूप, गंगा जल, तेल, रूई और माचिस, एक जल का लोटा और सफ़ेद या लाल फूल जो भी मिले ले लें ! जल के लोटे में दूध मिला दें और जप के बाद किसी पीपल आदि पर चढ़ा दें या नदी में बहा दें ! अगर आप साधना घर या बाहर कर रहे हैं तो पहले मंगलवार उपवास रखें और हनुमान जी के मंदिर जा कर दीप जगाएं और साधना के लिए आज्ञा लें ! आपको कोई न कोई संकेत मिल जाएगा क्योंकि बाबा जी कहते थे कि कोई भी साधना तब तक फलदायी नहीं होती जब तक देवता उसकी आज्ञा न दें ! आप मानसिक चिंतन करते रहें ! किसी न किसी संकेत के जरिए या स्वपन में आपको आज्ञा मिल जाए तो इस साधना को शुरू कर लें !
विधि
- घर के बाहर खुले में आप इसे करें या हनुमान जी के मंदिर में शुद्ध वस्त्र पहन कर आसन लगाने से पहले गंगा जल छिड़क कर जगह पवित्र कर लें ! गाय के गोबर से 2 x 2 फीट का स्थान लीप के आटे की मदद से चौक लगायें, जिसमे स्वस्तिक आदि के चिन्ह बनाकर उसपर फूल बिछा दें और उसपर हनुमान जी की मूर्ति या यन्त्र या चित्र आदि रख सकते हैं ! कोई भी हनुमान जी का विग्रह स्थापित करें और गुरु पूजन और गणेश पूजन कर सद्गुरु आज्ञा लें और साधना में सफलता के लिए प्रार्थना करें ! दीप लगा दें और धूप आदि लगाकर शुद्ध मन से संकल्प लें !
- जितने दिन आप साधना में हों उतने दिन पूर्ण ब्रह्मचार्य दैहिक और मानसिक रूप से रखें, शुद्ध रहें और जहाँ तक हो सके खाना खुद बनाकर खाएं ! साधना काल में किसी भी हालत में रजस्वला स्त्री के हाथ का बना खाना निषिद्ध है ! इससे बेहतर है कि आप दूध, फल आदि लें और दूध भी कच्चा लेना है, आग पर चढ़ा हुआ नहीं लेना है ! अगर आप दूध और फल पर ही रह रहे हैं तो भुने हुए चने, गुड़ आदि भी भोग लगाकर खा सकते हैं ! यह सभी नियम देखने में कठिन जरूर हैं पर मुश्किल नहीं, क्योंकि इस साधना में पूर्ण शुद्धता की जरूरत होती है इसलिए नियम लिखना अनिवार्य समझता हूँ !
- अब गुरु पूजन, गणेश पूजन के बाद सुरक्षा हेतु एक घेरा लगा लें जोकि आप हनुमान चालीसा या गुरु कवच या शिव कवच के पाठ से लगा सकते हैं ! यह सिर्फ साधना में कोई विघ्न न आये इसीलिए है ! हनुमान जी को कोई कील नहीं रोक सकती सिवाए रामकार के ! इसलिए अगर आप रामकार मंत्र जानते हैं तो बेहतर है नहीं तो राम नाम का जप करते हुए भी घेरा बना सकते हैं ! उस घेरे में सिन्दूर, फल आदि हनुमान जी के चित्र के आगे रख दें ! फल रोज लेने हैं और मंगलवार उपवास करना है ! उपवास के वक़्त मीठा भोजन एक वक़्त ले सकते हैं जैसे बेसन का हलवा आदि !
- मंत्र जप करना है, आप 11 माला जप करें और मूंगे की माला से ही करें ! यह साधना शाम 7 से 11 बजे के बीच कर सकते हैं ! भोग लगाया हुआ प्रसाद स्वयं ग्रहण कर सकते हैं या छोटे लड़कों को भी दे सकते हैं !
- इस जप में दिशा उत्तर रहेगी और पूजन और सुरक्षा घेरा रोज बनाना है ! इस साधना को 41 दिन करना है और इसे शुरू करने का दिन मंगलवार या गुरुवार ठीक रहते हैं ! दृष्टि में पवित्रता जरूरी है !
- 14 दिन के बाद आपको धरती हिलती फील हो सकती है पर डरे नहीं और 14 दिन बाद ही देव दर्शन शुरू हो जाता है ! आप अपना कार्य करते रहें ! बोले न और सिर्फ मंत्र जप करते रहें ! रोज देव आयेंगे और यह भी हो सकता है कि आपके सामने उनका भेष कोई और हो ! इसलिए आप अपने कार्य में मस्त रहें ! 28 दिन के बाद आपका चढ़ाया भोग केले आदि ले लेंगे और खा लेंगे ! आप संयम रखें और लड्डू आदि का भोग लगाते वक़्त उसपर तुलसी दल जरूर रखें क्योंकि हनुमान जी की क्षुधा तो माँ सीता भी शांत नहीं कर सकी थी और तुलसी दल के सेवन से सारी क्षुधा शांत हो गयी थी ! इसीलिए हमेशा हनुमान जी को भोग प्रदान करते वक़्त अगर प्रसाद पर तुलसी दल रख दिया जाए तो ठीक रहता है !
- आखिरी दिन आपके चढ़ाये हुए केले आदि देव खा लेंगे और सिन्दूर अपने मुख मंडल पर लगा लेंगे ! जब देव आपको वर मांगने को कहें तो उनकी कृपा मांग लें या जो आपको इच्छा हो कह दें ! इस तरह साधना पूर्ण हो जाएगी !
लाभ
इस साधना से साधक को अमोघ सिद्धि मिल जाती है ! उसे अतुल बल की प्राप्ति होती है और उसके कदम रखते ही घर के सभी भूत आदि भाग जाते हैं ! कोई भी तंत्र उसपर नहीं चलता ! हनुमान जी हमेशा उसकी रक्षा करते हैं ! वह किसी के भी भूत भविष्य को जान लेता है और किसी को भी सुरक्षा देने में सक्षम हो जाता है ! उसे किसी भी साधना में सुरक्षा मिल जाती है और वह कोई भी साधना करते वक़्त भय नहीं करता ! इसके और भी बहुत लाभ हैं जो आप स्वयं करके अनुभव कर सकते हैं !
|| साबर मंत्र||
|| ॐ नमो हनुमान बाराह बर्ष के जवान हाथ में लड्डू मुख में पान ,
हो के मारू आवन मेरे बाबा हनुमान ये नमः ||
|| Sabar Mantra ||
|| Om Namo Hanuman Barah Barash ke Jawaan Haath mein Laddu Mukh Mein Paan, Ho ke Maaru Aawan Mere Baba Hanuman ye Namah ||