सुलेमानी अप्सरा लाल परी साधना-Sulemani Apsara Lal Pari Sadhna

बहुत कहानियाँ सुनी होंगी बचपन में परियों की , मगर कभी सोचा है अगर उनसे मुलाकात हो जाये तो क्या रोमांच होगा ! बहुत ही लाजवाब साधनाएं हैं , जो आपको उस तत्व को समझने का मौका देती हैं ! संसार में हमेशा इन्सान सच्चे प्रेम के लिए भटका है ! मगर उसे सिवाए छल  के कुछ नहीं मिलता ! घर का माहौल भी कलेश के कारण और जरूरी वस्तुओं की कमी के कारण खराब होता है तो मन इस संसार से उच्चाटित होना स्वाभाविक है ! तो इन्सान देव शरण का आसरा लेता है मगर किसी भी तत्व को जानने और समझने के लिए आपकी आवश्यकताओं की पूर्ति होनी जरुरी है और बिना इसके आप देव तत्व में भी मन नहीं लगा सकते ! फिर भी यही कहता हूँ कि कुछ बदलाव तो जरुर होना चाहिए जीवन में , जो  आपको जीने की कला सिखादे और आप के जीवन में आ रही कमी को दूर कर दे और सही साथी की तरह सलाह दे और आपको आने वाले समय से आगाह करे ! तो इसी से प्रेरित हो ये साधना दे रहा हूँ और समय समय ऐसी साधनाएं देता रहूँगा  !

 इस साधना के लाभ 
 
ये जीवन में आने वाली धन की कमी को दूर करती है और किसी ना किसी माध्यम से, लोटरी अदि से  आकस्मिक धन की प्राप्ति कराती है ! इस से घर का माहौल सुख मय हो जाता है ! कई दोस्तों ने पूछा कि पत्नी बहुत झगडालू है कलेश बना रहता है ! ये साधना आपकी पत्नी के स्वभाव को एक दम बदल देगी और वो आपको समझने लगेगी क्योंकि  इन साधनाओं का गुप्त रहस्य यही है कि अप्सरा तत्व आपकी पत्नी में समावेश कर जाता है और उस में प्रेम, लज्जा  और समर्पण जैसे गुण पैदा कर देता है और आपके घर के माहौल को एक नई शांति और उर्जा से भर देती है क्योंकि अप्सरा में लक्ष्मी और जल तत्व प्रधान होता है ये सौंदर्य के साथ साथ शांति का भी प्रतीक है !
 
यह  पूरी तरह आजमाई हुई साधना है और इस में प्रत्यक्षीकरण होता है मतलब आप अपनी इन आँखों से इसे देख सकते हो ! एक बार अलख मुनि जी जो हमारे गुरु भाई सन्यासी हैं, आ गये और पूछा कि कोई ऐसी साधना है जो जल्द ही प्रत्यक्ष हो तो उसे यही साधना बता दी ! वो साधना के मामले में बहुत हठी है ! जाते ही साधना शुरू कर दी ! तीसरे दिन अप्सरा आ गई और ब्लैक बोर्ड लगा के कुछ लिखने लगी शायद लोटरी का नम्बर आदि होगा तो अलख मुनि जी सोचने लगे इसे कहूँ क्या? पता नहीं उनके मन में क्या आया उसे वहीँ छोड़ हुस्न चन्द जी के मंदिर की ओर आ गये जो वहाँ से १८ किलोमीटर है और आके कहने लगे, वो आ गई है, उसे क्या कहना है ! तो हम सभी हंस पड़े ! हुस्न चन्द जी कहने लगे वो अब तक तो चली गई होगी, वो क्या वहाँ बैठी होगी ! तुम कुछ भी कह देते ! तो वो अजीब तरह से देखते रहे ! कहा मुझसे तो गलती हो गई अब दोबारा करनी पड़ेगी ! कहने का तात्पर्य है कि कई बार प्रत्यक्षीकरण के वक़्त साधक सब भूल जाता है , उसे ये भी नहीं पता चलता कि मैं इसे क्या कहूँ ! आप बिना संकोच अपने दिल की बात उसे कह सकते हो ! अगर फिर भी ऐसी स्थिति आ जाये तो आप उसे अपनी प्रेमिका या दोस्त बनने को कह सकते हो ! इसपे वो प्रसन्न होकर आपको बहुत कुछ प्रदान कर देती है ,जिसकी आपको आवश्यकता होती है धन अदि !
 
विधि
   
१.  इस साधना को किसी भी नोचंदे जुमेरात (संक्राति के बाद प्रथम शुक्रवार )को शुरू करे !
 
२. चमेली के तेल का दिया लगा दें , लाल सिंगरफ ले आयें और उससे अपने चारों ओर एक घेरा लगा लें ! जब साधना में बैठे तो जब तक जप पूर्ण ना हो उस घेरे से बाहर ना हो, इस बात का खास ख्याल रखे !
 
चमेली या गुलाब के पुष्पों को पास रखे ! जब हाजिर हो  मंत्र पढते हुए पुष्पों  की वर्षा करते हुए उसका स्वागत करे और वो आपके पास आकार बैठ जाये तो विचलित ना हो बस मन्त्र जप करते रहे ! जब आपकी साधना पूर्ण हो जाये तभी बात करे और तब तक आपको कुछ भी कहे बोले ना ! जप पूरा होते ही वो चली जाएगी और ऐसा हर दिन होगा इस बात का ख्याल रखे जब अंतिम दिन हो तब वो बेबस हो आपको कुछ   मांगने के लिए कहे तो आप उसे कहे , तुम मेरी प्रेमिका बन जाओ या जो आपकी इच्छा हो कह सकते हो !
 
३. भोग के लिए फल व मिठाई आदि पास रखे !
 
४ .एक पानी का पात्र और लोवान का धूप आदि जलाये !
 
५ हिना या चमेली का इतर भी पास रखे ! थोरी रूई भी जब आपके पास बैठे तो उसे इतर का फोया दे मतलव थोड़ी रूई पर इतर लगाकर भेंट करे !
 
६.माला लाल हकीक की ले !
 
७. वस्त्र सफ़ेद लुंगी या कुरता पजामा भी पहन सकते हो !
 
८.दिशा पश्चिम की ओर मुख कर साधना करे !
 
९. इस के लिए एकात कक्ष होना अनिवार्य है !
 
१०.इसमें आसान जैसे नवाज पढते हैं उसी प्रकार घुटनों के बल बैठ  सकते हो ! अगर असुविधा हो तो आप जैसे बैठ सकते हो बैठ जाये मगर ज्यादा हिले डुले ना !
 
११.कमरे में इतर या सेंट आदि छिड़क दें ! अगरवती भी लगा सकते हो अगर लोवान का धूप प्राप्त ना हो !
 
सर्व प्रथम गुरु पूजन करें और साधना के लिए आज्ञा मांगे और फिर गणेश का पूजन करे और सफलता के लिए प्रार्थना करे !
 
फिर निम्न मंत्र की २१ माला जप करे और जप से पहले आसन पर बैठ के शिंगरफ से अपने चारों ओर रेखा खींच लें और दूध का बना प्रशाद बर्फी या पेडे आदि भी पास रखें और उपर जो जो समान बताया है सभी रखें ! २१ माला से पहले आप उठे ना ! सामने  किसी बाजोट को रख उसपे चमेली के तेल का दिया आदि लगा दें और लोवान का धूप लगा दे !  फिर मन्त्र जप शुरू करे ! ये साधना २१  दिन करनी है!
 
–साबर मंत्र —
 
|| बिस्मिला सुलेमान लाल परी हाथ पे धरी खावे चुरी निलावे कुञ्ज हरी ||
 
|| Bismilla Sulemaan Laal Pari Haath Pe Dhari Khaave Churi Nilaawe Kunj Hari ||