श्री बटुक भैरव जी दुर्गाजी के पुत्र कहे जाते हैं ! बटुक भैरव जी साधक की हर साधना में रक्षा करते हैं और इस आज के भयमय वातावरण में भी साधक के साथ साये की तरह रहते हुए उसे पूर्ण सुरक्षा देते हैं ! इस लिए यह आज के युग में भय मुक्त जीवन के लिए आवश्यक साधना है ! भैरव जी दरिद्रता विनाशक हैं ! अतः साधक की दरिद्रता को दूर करते हुए उसे पूर्ण वैभवयुक्त जीवन प्रदान करते हैं ! वहीँ उसे अन्य रोगों से भी बचाते हैं ! इसलिए इस साधना से सभी साधकों को लाभ उठाना चाहिए !
विधि
इस साधना को किसी भी मंगलवार या मंगलवार को पड़ने वाली अष्टमी को करना बेहतर है ! इसके लिए पहले से श्री बटुक भैरव यंत्र व मूँगे की या हकीक की माला गुरुधाम से मँगवा लें ! हकीक माला काले हकीक की ले सकते हैं और साधक को लाल वस्त्र या काले वस्त्र धारण कर दक्षिण दिशा की ओर मुख कर बैठना है ! सामने श्री बटुक भैरव जी का चित्र फ्रेम कराकर रख लें ! एक बाजोट पर लाल रंग का वस्त्र बिछा कर चित्र के सामने ही एक प्लेट में स्वास्तिक बनाकर श्री बटुक भैरव यंत्र की स्थापना करें और गुरु चित्र भी पास में रखें! पहले गुरु पूजन कर आज्ञा लें और संकल्प करें कि मैं अपने मन के भय से मुक्ति पाते हुए पूर्ण समृद्धि, पूर्ण जीवन प्राप्ति के लिए यह साधना करना चाहता हूँ ! हे सद्गुरुदेव मुझे साधना में पूर्णता दें और यंत्र का पूजन सिंदूर, लाल फूल से करें ! पंचौपचार पूजन कर सकते हैं ! भोग के लिए लड्डू स्मर्पित करें ! यंत्र के पास ही थोड़े उडद की ढेरी लगाकर उसके ऊपर तेल का दिया लगा दें ! दिये का भी पूजन करें और फिर गुरु मंत्र का दो माला मंत्र जप करें और निम्न श्री बटुक भैरव जी के मूल मंत्र का 11 माला जाप करें ! ऐसा 21 दिन करें , इससे भैरव जी प्रत्यक्ष दर्शन या बिम्बात्मक दर्शन देंगे ! हर मंगलवार को भोग किसी कुत्ते को खिलादें और नया भोग रख दें !
मंत्र
|| ॐ ह्रीं वां बटुकाये क्ष्रौं क्ष्रौं आपदुद्धारणाये कुरु कुरु बटुकाये ह्रीं बटुकाये स्वाहा ||
|| Om Hreem Vaam Batukaaye Kshraum Kshraum Aapddudhaarnaaye Kuru Kuru Batukaaye Hreem Batukaaye Swaha ||
इस तरह इस मूल मंत्र के जप के बाद श्री बटुक भैरव- अपराध – क्षमापन स्तोत्र का पाठ करें ! कोई भी भैरव साधना या दुर्गा शप्तशती के पाठ के बाद यदि क्षमापन स्तोत्र का पाठ कर लिया जाए तो सिद्धि का फल अवश्य मिलता है !
इस साधना को शाम 7 से 10 बजे के बीच कभी भी कर सकते हैं !!
ENGLISH VERSION
Shri batuk bhairav ji is called son of goddess DURGA. Lord batuk bhairav protects sadhak in every sadhna and gives complete protection in this dreadful era like a shadow. Hence this sadhna is must to get rid of fears. Lord bhairav is also a diminisher of poverty so at last he bestow prosperity to sadhak by removing poverty. On the other hand protects sadhak from all diseases, so every sadhak should get benefit of this sadhna.
Procedure
Any Tuesday or any astmi falling on any Tuesday is best day for this sadhna. For this, order batuk bhairav yantra and rosary of either hakik or coral from gurudham in advance. Black hakik mala may be used and sadhak may wear red or black clothes and should sit facing south. Place a framed picture of lord batuk bhairav on a wooden table (Baajot) in front of you. Lay a red cloth on that baajot (wooden table) in front of that picture of batuk bhairav and place a plate on it and draw a swastic sign in that plate and establish the batuk bhairav yantra on that swastika sign.Place guru picture also nearby and do the gurupoojan and then ask permission from guruji for starting the sadhna. Take pledge that I am doing this sadhna for getting rid of my fears and for getting prosperous life. Hey sadgurudev bestow me completeness in sadhna. And worship yantra by vermilion and red flowers. Panchopchar poojan may also be done. Offer Laddos for bhoga. Lit the lamp of sesame oil over the heap of black gram made near yantra. Worship lamp also .Do 2 mala japa of guru mantra and then recite 11 mala of below mentioned mool mantra of Batuk bhairav ji. Do this for 21 days. By doing this, glimpse of lord batuk bhairav may be obtained. Offer bhoga to any dogs on Tuesdays and put new bhoga.
Mantra
|| Aum Hreem Vaam Batukaaye Kshraum Kshraum Aapddudhaarnaaye Kuru Kuru Batukaaye Hreem Batukaaye Swaha ||
Thus after the japa of mool mantra recite the Shri batuk bhairav apraadh kshmapana stotra. If the kshmapana strotra path must be done after any bhairav sadhan or durga shaptshati path than you will get the results of that siddhi.
This sadhna can be done in evening between 7 to 10 o’clock.