महबूब मिलन के लिए एक सुलेमानी साधना

जब आप किसी को सच्चे दिल से चाहते हैं | अगर वह आपकी बात नहीं सुन रहा तो सच में आपकी भावनाएं आहत होती हैं | प्रेम तो ईश्वर का रूप है | प्रेम को समझना भी इतना आसान नहीं | हमारे हजारों किस्से और ग्रंथ प्रेम से ही भरे पड़े हैं | हीर राँझा की कहानी सभी जानते हैं | जब रांझा हीर को ले गया तो बहुत खोज कर उन्हे समझाकर घर ले आए और राँझे से हीर का निकाह करने की बात हीर के पिता ने स्वीकार कर ली | जब शादी की तैयारी चल रही थी, बारात आने को थी लेकिन हीर के चाचे कैदो को यह बात अच्छी न लगी | उसने हीर को जहर दे दिया | हीर जब अंतिम साँसे गिन रही थी, बस राँझे के लिए ही उड़ीक कर रही थी | रांझा आया और हीर से बातें करने लगा | हीर ने अपने महबूब का वादा न निभाने पर क्षमा मांगी और दोनों काफी देर बातें करते रहे | अंत में इज़राईल फरिश्ता हीर को लेने आ गया | हीर ने कहा कि कुछ देर ठहर जाओ  मुझे राँझे को देखने दो | हीर की नजर सिर्फ राँझे को देख रही थी | इज़राईल फरिश्ते ने कहा हीरे वक़्त हो गया है तो हीर ने अपने महबूब से विदा मांगी और इज़राईल फरिश्ते से कहा कि अब मुझे ले चलो | जब इज़राईल ने हीर की जान निकाली तो उसी वक़्त रांझा भी गिर गया और उसकी जान भी निकल गई | दोनों उसके साथ चले गए लेकिन इज़राईल फरिश्ता काफी हैरान था और खुदा के पास गया | खुदा ने पूछा क्या हुआ तो उसने कहा आज अजीब हुआ | मैंने जान एक की निकाली और मर दोनों गए | यह बात मेरी समझ में नहीं आई तो खुदा ने कहा यह आशिक  लोग हैं इन्हे तो आज तक मैं भी नहीं समझ पाया तुम कैसे समझ लोगे | बात में एक सच्चा प्रेम छुपा है | काश ऐसा ही प्रेम सब में हो | फिर महबूब तो खुदा का ही रूप होते हैं | अगर जीवन में सच में सच्चा प्रेम मिल जाए तो जीवन सर्वोतम शिखर पर पहुँच  जाता है |

अब मैंने यहाँ महबूब का जिक्र किया है इसका मतलब किसी औरत विशेष से या पुरुष विशेष से नहीं है | महबूब तो कोई भी हो सकता है यहाँ तक कि गुरु भी महबूब तुल्य ही होते हैं | यह साधना महबूब मिलन की बेमिसाल साधना है | वह चाहे आपका कोई प्रेमी है या प्रेमिका है या मुरशद है | महबूब के रंग में खो जाना ही सच्चे आशिक की निशानी है | आप इस साधना को करें, खुदा ने चाहा तो आप अपने महबूब से जल्द मिलेंगे | यह मेरी बहुत ही मनोनुकूल साधना है और बहुत प्यारी भी | एक बार आजमा के देखें | सच में आपको सच्चे प्रेम से मिलन करा देगी | बस एक शर्त है प्रेम वासना से प्रेरित न हो, सच्चा हो हीर राँझे की तरह | बस ज्यादा न कहता हुआ यह बेमिसाल साधना दे रहा हूँ |

विधि

इसे नोचन्दे शुक्रवार से शुरू करें और चाँद पूर्णिमा यानी पूर्णिमा तक करें | इसे आप 21 दिन भी कर सकते हैं | वस्त्र वही पहने जो आपको अच्छे लगें या सफ़ेद कुर्ता पजामा पहन लें और सिर पर कोई टोपी या रुमाल रखकर बिलकुल पाक होकर स्नान आदि करके साधना करें | माला हकीक की लें | दिशा पश्चिम ठीक है | अपने आसन पर बैठकर खुदा की बारगाह में सजदा करें और अपने मुरशद ( गुरु को ) याद करें और साधना में सफलता के लिए प्रार्थना करें | फिर निम्न मंत्र का 333 बार  जप करें | आप चाहें तो पाँच माला जप कर सकते हैं | जब आपकी साधना सफल हो जाए, आप पीले रंग के मीठे चावल बनाकर गरीबों या बच्चों में बाँट दें खुदा के नाम से और किसी कुत्ते को रोज रोटी डालते रहें अपनी कामना बोलते हुए | जप करते हुए अपने महबूब का ध्यान करें मतलब अपने प्रेमी की सूरत आंखो में रखें
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मंत्र

बिसमिलाह, लाये ला ला दे, ईल ईला मिला दे ,

मेरे महबूब की सूरत से मूर्त मिला दे |


ईंशा अल्ला आप सब की मंगल कामना पूर्ण हो |

आमीन आमीन आमीन |

नागेंद्रानंद