बाबा ईशाधारी नाग साधना | Icchadhari Naag Sadhana


वो इतना परेशान था कि चारों तरफ मुसीबतों के बादल छाए थे ! कर्ज में सिर तक डूब गया, घर में बहन विवाह के योग्य हो गई थी ! लेकिन कोई आमदनी का साधन नहीं था | ग्रेजुएशन  करने के बाद भी नौकरी नहीं मिल पा रही थी | कर्ज मांगने वाले रोज परेशान करते थे | कोई रास्ता नहीं मिल रहा था | घर के हालत ने सोमनाथ को इतना तोड़ दिया था कि अब सिवाए आत्महत्या के कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था ! एक दिन तंग आकर वह मरने के इरादे से गाँव के बाहर एक सुनसान कूए की तरफ चला गया ! मन में बहुत ख्याल आ रहे थे पर अब कोई और रास्ता तो नहीं है ! धीरे धीरे कदम भरता हुआ वह जा रहा था ! दिन छुप गया था और कुछ अंधेरा सा हो गया था !

जब वह कुए के पास पहुंचा तो देखता है कि एक बुजुर्ग सफ़ेद वस्त्र पहने उस कुए के पास बनी नाग की बाम्बी के पास बैठा है | उसके समक्ष दीप जल रहा है और वह ध्यान में मंत्र जप किए जा रहा है और वह वहाँ बैठकर उसके उठकर जाने का इंतजार करने लगा, आधा घंटा बीत जाने पर उसने आँखें खोली और माथा टेक कर नाग देवता को प्रणाम किया और सोमनाथ की तरफ देख कर मुस्करा दिया और उसके पास आकर बैठ गया और कहने लगा, मरना किसी मुसीबत का हल नहीं होता, अगर हौसला छोड़ दोगे तो कैसे जीओगे | ऐसे समय तुम परेशान मत हो, मुझे सब पता चल गया है ! तुम्हारी परेशानी क्या है। तुम रोज मेरे पास आ जाया करो, इससे तुम्हारा दिल भी शांत हो जाएगा और मुझे भी साथ मिल जाएगा ! इस तरह सोमनाथ रोज शाम को वहाँ चले जाता और मन का बोझ हल्का कर लेता | उस व्यक्ति ने उसे मंत्र तंत्र का ज्ञान देना शुरू कर दिया और उसे अपने पास बैठा कर साधना कराने लगा | 6 महीने बीत गए और कुछ कुछ सोमनाथ के घर के हालात भी बदलने लगे |

एक दिन अचानक उस बुजुर्ग ने कहा, एक राज मैंने आज तक किसी से नहीं कहा, अगर तुम मुझे वचन दो तो मैं तुम्हे बताता हूँ | सोमनाथ उसे अपना गुरु मानने लगा था इसलिए वचन दे दिया कि आपके जीते जी मैं किसी से ये बात नहीं करूँगा | तब उस बुजुर्ग ने ठंडी सांस ली और कहा बेटा मैं 30 साल से बाबा इच्छाधारी की सेवा कर रहा हूँ और जो इस बाम्बी में नाग के रूप में रहते हैं | इन्होने मेरी सेवा से प्रसन्न होकर मुझे अपनी मणि प्रदान की है ! आज मेरे पास जो भी है सभी इन्हीं का दिया हुया है ! इनकी दी कृपा से ही मैं समय के गर्भ में झांक लेता हूँ ! इसलिए तुम मुझे वचन दो कि मेरे बाद तुम यहां सेवा का कार्य किया करोगे तो सोमनाथ ने हाँ में सिर हिला दिया और फिर आगे उस बुजुर्ग ने कहा कि एक बात ध्यान से सुनो आज से 8 दिन बाद मेरी मृत्यु हो जाएगी | तुम यह मणि लो और जब मुझे शमशान में चिता पे लिटा दें और अग्नि देने वाले हों तो तुम यह मणि मेरे हाथ में किसी तरह पकड़ा देना, इससे मैं दोबारा जिंदा हो जाऊँगा | सोमनाथ नागमणि लेकर अपने घर आ गया और ठीक 8 दिन पूरे होने के बाद वो बुजुर्ग मर गया जोकि उसके गाँव का ही था | जब शमशान में गए तो अंतिम अरदास के वक़्त सोमनाथ ने कहा मैंने इसका मुख देखना है तो चुपके से मुख देखते वक़्त वो मणि उनके हाथ में रख दी और मणि का स्पर्श पाते ही वो बुजुर्ग जिंदा हो गया |  सभी अचंभित हो गए और हर्ष के साथ खुशी का इजहार करने लगे | सभी अपने घरों को वापिस आ गए | इसके बाद वो बुजुर्ग 3 साल तक जिंदा रहा |

जब हम सोमनाथ से मिले तो एक सफल ज़िंदगी जी रहा है और आज भी नवांशहर के नजदीक एक गाँव में अपनी ज़िंदगी जी रहा है | अच्छा कारोबार और अच्छा घर राजाओं की तरह ऐश्वर्य से जीवन जी रहा है | जब हमने मणि के बारे में पूछा तो उसने इस बारे कुछ नहीं कहा और कहने लगा इस बारे में न पुछो, लेकिन उसकी ज़िंदगी ही बदल गई और आज भी वो गाँव के बाहर उसी जगह इच्छाधारी साधना सेवा में रहता है और उसे भूत भविष्य के बारे में सटीक जानकारी मिल जाती है | मेरा मानना है कि आज भी उसके पास नागमणि है पर इस दुनिया के लालच भरे समाज में यह बातें छुपा के रखनी ही बेहतर हैं ! क्योंकि सिद्धि मिलने पर जो प्रदर्शन करता है वो सिद्धि ज्यादा देर उसके पास नहीं रहती |

सोमनाथ हमारा दोस्त है | वहीँ एक बार मैंने उस्ताद से इस बात का जिक्र  किया तो उन्होंने मुझे इच्छाधारी साधना का रहस्य समझाते हुये इसके गुप्त भेद बताए और उनके निर्देशन में मैंने इसे संपन्न किया, जिसके बहुत ही अच्छे और अद्भुत अनुभव हुए और इस साधना को करते कुछ दिन बाद ही ऐसा फील होने लगता है जैसे आपके चारों और नाग आकर बैठ गए हैं और आपकी रक्षा करते हैं |

मैं रोज इस साधना हेतु अपने गाँव के बाहर बने नाग देवता के स्थान पर जाता था और एक दिन साधना करते ध्यान में इतना खो गया कि मेरा सूक्षम शरीर देह से अलग होकर उस बाम्बी में चला गया और सामने नाग माता और बाबा जी दोनों बैठे थे | उन्होंने आशीर्वाद दिया और मुझे एक तरफ इशारा किया, एक रास्ता सा नीचे को बन गया और उनकी आज्ञा लेकर मैं उस तंग सुरंगनुमा रास्ते में गुस गया और कुछ ही समय के बाद मैं एक महल में था, जहां एक तरफ तख्त लगा था और ऐसा लगा कि मैं एक राज दरबार में आ गया हूँ और सामने तख्त पर नागराज मानस देह में बैठे थे और चारों तरफ उनके दरबारी | मैंने सिर झुकाकर प्रणाम किया और मुझे एक तरफ बैठने का इशारा मिला और मैं बैठ गया | तभी मुझे बताया गया तुम नाग लोक में हो और वहाँ बहुत सी बातें हुई जो यहाँ बताना उचित नहीं पर नागलोक के वैभव की तुलना करना मुश्किल है और इस एक साधना ने मुझे ऐसे रहस्यों से परिचित करवाया जिनके बारे में सोचा भी नहीं जा सकता और मेरा नागलोक से एक संबंध सा बना दिया | यह दुर्लभ साधना है | जो निडर साधक हैं उन्हे ही यह साधना करनी चाहिए क्योंकि इसके अनुभव प्रत्यक्ष होते हैं और साधक बहुत बार नाग देखकर डर जाते हैं | जो इस साधना को करना चाहे मुझसे संपर्क कर सकते हैं |

साधना विधि

 इस साधना को करने से पहले कुछ नियम जो अपनाने चाहिए |

१.  कभी भी नाग न मारने का संकल्प लें कि मैं कभी भी नागों को कष्ट नहीं दूंगा |

२.  गणेश पूजा, गुरु पूजा, शिव पूजा अनिवार्य है |

३.  जहाँ तक हो सके सत्य बोलें |

अब सबसे पहले कोई ऐसा स्थान देखें जहाँ इच्छाधारी का मंदिर या कोई बाम्बी हो | हर शहर में कहीं न कहीं यह स्थान होता है या कोई ऐसी नाग की बाम्बी ढूंढें जहाँ पहले पूजा न हुई हो या कोई पक्की बाम्बी मिल जाये तो बहुत ही उत्तम है | पक्की बाम्बी उसे कहते हैं जो बहुत पुरानी हो और लोग वहां दूध आदि डालते हों |

अपने साथ जो सामग्री लेकर जानी है वो यह है कि एक लोटा दूध, फूल सफ़ेद हों तो बेहतर है, फूल आप कली या चमेली के ले सकते हैं या जो भी मिल जाएँ, ले लें और बताशे जरूर लेकर जाने हैं |

वस्त्र सफ़ेद पहने, आसन कोई भी चलेगा लेकिन काला न हो | सबसे पहले बाम्बी के आसपास सफाई करें और आसन बिछाकर सारा सामान रख दें |

गुरु पूजन और गणेश पूजन करें और शिव पूजन कर आज्ञा लें | फिर बाम्बी पर पूजा करें, नाग देवता को स्मरण कर फूल आदि चढ़ा दें और एक धूप की बत्ती लगा दें और बताशे आदि चढ़ा दें, फिर बैठकर मंत्र जाप करें | घी का दीपक लगा दें और ध्यान रहे साधना काल में दीपक जलता रहे | आसन आदि का जाप कर लिया जाये तो बेहतर है या आसन कीलन भी कर सकते हैं |

इस मंत्र का 11 माला जप करें | मंत्र थोड़ा बड़ा है इसमें 3 घंटे लग सकते हैं | अगर 11 माला न कर पाओ तो 5 या 3 माला कर लें | इसे 41 दिन करें और निश्चित जप जितना रोज करते हो, पूरे 41 दिन चलेगा | अंत में खीर का भोग या बताशे साथ जरूर चढ़ाएं | मंत्र जाप पूर्ण होने पर नमश्कार करें और दूध बाम्बी में डाल दें और घर वापिस आ जाएँ | इसे घर पर बिलकुल न करें | नगेंदर |

अनुभव

इसके अनुभव प्रत्यक्ष होते हैं | बहुत नाग दिखेंगे और कई बार आपके आस पास बैठ जायेंगे | डरें नहीं, कोई कुछ नहीं कहेगा | जब जाप पूरा हो जायेगा, अपने आप चले जायेंगे | कई बार इससे नागकन्या आदि भी आ जाती है, इसलिए संयम रखें और कुछ भी न बोलें जब तक आपकी साधना पूरी न हो | अंत में एक बहुत बड़ा सुनहरी रंग का नाग आपके सामने बाम्बी से निकलकर आएगा, डरें नहीं, हौसला रखें | वो कुछ भी करे, अपना मुख खोल के आपको डराने की कोशिश भी करे तो भी अपने स्थान से उठें नहीं और न ही भागें, नहीं तो साधना भंग हो जाएगी और आपके मनन में दहल पड़ जाएगी, देह कांपने लग जाएगी, नाग हर जगह दिखाई देगा और आप अर्ध मूर्छित से हो जाओगे, लोग आपको पागल समझने लगेंगे | इसलिए बहुत ही ध्यान देने और सावधानी बरतने की जरूरत है | जब आपका जप पूर्ण हो जायेगा तो वो नाग संत रूप में प्रकट होकर आपसे बात करेगा और आप अपने लिए उससे कोई भी वरदान मांग सकते हैं |

इतना होने पर आपकी सहायता नागलोक से होने लगेगी और आपका जीवन धन धान्य से भरपूर हो जायेगा | बहुत बार लाटरी आदि का नंबर मिलेगा और सट्टे या शेयर मार्किट की जानकारी मिलेगी | आप इन अवसरों का सदुपयोग कर जीवन को खुशहाल बना सकते हैं | इससे कई प्रकार की सिद्धियाँ मिल जाती हैं जैसे किसी के बारे में कोई भी जानकारी, आपके कान में आवाज आया करेगी और चेहरे का आकर्षण बढ़ जायेगा और विशेषकर आपकी आँखें बदल जाएँगी और आँखों में विशेष चमक आ जाएगी | और भी बहुत सारे रहस्य आपके सामने खुल जायेंगे और अगर आपकी साधना सच्चे भाव से हुई है तो आप नागलोक के दर्शन भी कर लेंगे या वहां जा सकोगे | तो मन के सारे भय निकालकर साधना के लिए अपने आप को तैयार करें और विश्वास के साथ साधना करें |

साबर मंत्र

 ॐ नमो गुरू जी को आदेश, धरती माता को आदेश, पोंण पानी को आदेश, शिव गोरख को आदेश, पाताल के बादशाह पाताल के शहंशाह नागों के राजा इशाधारी ईशा पूर्ण करनी मणियों के राजा मणियों में रहना मणि अमर अमृत कुंड के देश पाताल के देश, पाताल के देश में बैठे नागों के राजा रानी ईशा पूर्ण करनी राजा को आदेश, राजा के संतरियों को आदेश, 101 छोह्नी को आदेश, पैरी पैना माथा टेकना वार वार नमश्कार |

 

ॐ