यह नाग देवता का स्वरूप हर प्रकार के शत्रु का नाश करता है | शत्रु बाधा से मुक्ति देता है | जिन साधकों के जीवन में हर पल शत्रु का भय है उन्हे यह साधना संपन्न करनी चाहिए | यह हर प्रकार के शत्रु संहार करते हैं | शत्रु द्वारा उत्पन्न की सभी बाधाओं को हर लेते हैं | यह एक बहुत ही तीक्ष्ण साधना है इसलिए साधकों को पूर्ण सावधान होकर ही करनी चाहिए |
ज्योतिष विवेचन
कुंडली में सप्तम से लेकर लग्न तक (प्रथम भाव तक) राहू केतू के मध्य फंसे ग्रहों के कारण तक्षक नामक नाग दोष का निर्माण होता है | ऐसे व्यक्ति का वैवाहिक जीवन तनावपूर्ण रहता है | जीवन साथी से विछोह, प्रेम सम्बन्ध में असफलता मिलती है | बनते कार्य में धोखा होने की संभावना अधिक रहती है | किसी न किसी कारण से मानसिक परेशानी या चिंता पीछा नहीं छोडती | ऐसे व्यक्ति को जीवन साथी सदैव समझौते के तहत अपनाना चाहिए तभी गृहस्थी जीवन सुखी रहता है |
साधना विधि
- यह साधना शनिवार को करें | एक दिन की साधना है |
- इसमें साधना सामग्री जो लेनी है लाल चन्दन की लकड़ी के टुकड़े, पीला ,लाल और हरा धागा जो तकरीबन 8-8 उंगल का हो | कलश के लिए नारियल, सफ़ेद व लाल वस्त्र, पूजन में फल पुष्प, धूप, दीप, पाँच मेवा आदि |
- सबसे पहले पूजा स्थान में एक बाजोट पर सफ़ेद रंग का वस्त्र बिछा दें और उस पर एक पात्र में चन्दन के टुकड़े बिछा कर उस पर एक 6 मुख वाला नाग का रूप आटा गूँथ कर बना लें और उसे स्थापित करें | साथ ही भगवान शिव अथवा विष्णु जी का चित्र भी स्थापित करें | उसके साथ ही एक छोटा सा शिवलिंग एक अन्य पात्र में स्थापित कर दें |
- साधक अपना मुख दक्षिण दिशा की ओर रखें | माला रुद्राक्ष की लें | पहले की नाग साधना में इस्तेमाल की हुई माला चल सकती है |
- पहले गुरु पूजन कर साधना के लिए आज्ञा लें और फिर गणेश जी का पंचौपचार पूजन करें | उसके बाद भगवान विष्णु जी का और शंकर जी का पूजन करें |
- पूजन में धूप, दीप, फल, पुष्प, नवैद आदि रखें | प्रसाद पाँच मेवों का भोग लगाएं |
- अगर कोई विशेष शत्रु हो तो उसका नाम बोल कर तक्षक नाग से प्रार्थना करें कि इस शत्रु को हमारे जीवन से हटा दें |
- यह साधना शनिवार शाम 7 से 10 बजे के बीच करें |
- माला रुद्राक्ष की उतम है और 7, 11 या 21 माला मंत्र जाप करना है |
- दीप साधना काल में जलता रहना चाहिए |
- श्री तक्षक नाग का पूजन करें | वेदी के दक्षिण दिशा में तक्षक नाग को स्थान देना चाहिए | वेदी के बीच श्री गणेश को, वेदी के ईशान कोण में मनसा देवी की स्थापना करनी है | अपना मुख दक्षिण दिशा की ओर रखना है |
साधकों की सुविधा के लिए नाग पूजन दिया जा चुका है | अब तक्षक नाग का आवाहन करें | हाथ में अक्षत, पुष्प लेकर निम्न मंत्र पढ़ते हुए नाग देवता पर चढ़ाएं |
ॐ वैश्यवर्गं नील वर्णं पत्रं पंच शतैर्युतम |
युक्तमुतुगं कायं च तक्षकं प्रणमाम्यहम् ||
ॐ तक्षकं नमः तक्षकं आवाहयामि स्थापयामि || ईशान्यां अमृत रक्षणी साहितायै मनसा दैव्ये नमः | प्रतिष्ठः || प्रतिष्ठः ||
अब हाथ में अक्षत लें और प्राण प्रतिष्ठता करें |
प्राण प्रतिष्ठा मन्त्र
ॐ मनोजुतिर्जुषता माज्यस्य बृस्पतिर्यज्ञ मिमन्तनो त्वरिष्टं यज्ञ ठरं समिनदधातु |
विश्वेदेवसेऽइहं मदन्ता मों 3प्रतिष्ठ ||
अस्मै प्राणाः प्रतिष्ठन्तु अस्मै प्राणाः क्षरन्तु च,
अस्ये देवत्वमर्चाये मामहेति च कश्चन ||
मनसा देवी पूजन
अब ईशान कोन में एक अष्ट दल कमल अक्षत से बनायें और उस पर एक ताँबे या मिटटी के कलश पर कुंकुम से दो नाग बनाकर अमृत रक्षणी माँ मनसा की स्थापना करें | कलश पर पाँच प्लव (आम आदि के पत्ते)रख कर नारियल पर लाल वस्त्र लपेट कर रख दें | हाथ में अक्षत, कुंकुम, पुष्प लेकर मनसा देवी की स्थापना के लिए निम्न मंत्र पढ़ते हुए अक्षत कलश पर छोड़ दें |
ॐ अमृत रक्षणी साहितायै मनसा दैव्ये नमः | प्रतिष्ठः || प्रतिष्ठः ||
अब मनसा देवी का पूजन पंचौपचार से करें |
एक जल की आचमनी चढ़ाएं
ॐ अमृत रक्षणी साहितायै मनसा दैव्ये नमः ईशनानं स्मर्पयामी ||
चन्दन से गन्ध अर्पित करें
ॐ अमृत रक्षणी साहितायै मनसा दैव्ये नमः गन्धं समर्पयामि ||
पुष्प अर्पित करें
ॐ अमृत रक्षणी साहितायै मनसा दैव्ये नमः पुष्पं समर्पयामि ||
धूप
ॐ अमृत रक्षणी साहितायै मनसा दैव्ये नमः धूपं अर्घ्यामि ||
दीप
ॐ अमृत रक्षणी साहितायै मनसा दैव्ये नमः दीपं दर्शयामि ||
नवैद्य—मेवों या दूध् से बना नवैद अर्पित करें |
ॐ अमृत रक्षणी साहितायै मनसा दैव्ये नमः नवैद्यं समर्पयामि ||
अब पुनः आचमनी जल की अर्पित करें |
ॐ अमृत रक्षणी साहितायै मनसा दैव्ये नमः आचमनीयं जलं समर्पयामि ||
अब नाग पूजा बताई हुई विधि से करें, अगर किसी कारण पूर्ण पूजा न कर पाये तो पंचौपचार पूजन कर लें |
वैसे साधना का पूर्ण लाभ लेने के लिए पूजन विधि अनुसार ही करें |
अब सफ़ेद्, पीला व लाल धागा नाग को अर्पित करें | यह धागा पूंछ की तरफ ही अर्पित करना है या चढ़ा देना है | रुद्राक्ष की माला से निम्न मंत्र का जप करें |
साधना मंत्र
|| ॐ थम थम थाही तक्षक नागाये नमः ||
|| Om Tham Tham Thaahi Takshak Naagaaye Namah ||
जप समाप्ती पर माला को गले में पहन लें और यह माला पहन कर ही सोयें | जब साधना पूर्ण हो जाए तो शिवलिंग का पंचौपचार पूजन करें और दही से अभिषेक करे, अभिषेक करते हुए आप “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करते रहें या शिवकवच से भी अभिषेक किया जा सकता है नहीं तो लघु रुद्राअभिषेक स्तोत्र पढ़ते हुए भी किया जा सकता है | इसके बाद अगर आप चाहो तो सर्प सूक्त का पाठ कर लें | सोते हुए माला गले में रहे | दूसरे दिन आप उस नाग की आकृति को किसी नदी पर जाकर जल प्रवाह कर दें समस्त पूजन सामग्री के साथ जो पूजन किया है वह पुष्प, अक्षत आदि आदि | कलश का जल घर में छिड़क दें या किसी पौधे को डाल दें | इस प्रकार यह साधना पूर्ण हो जाती है और जीवन में सभी शत्रु बाधा हट जाती है, रुके कार्य बनने लगते हैं, घर में सुख शांति का वातावरण बनता है | यह साधना एक अनुभूत साधना है |